✜ एसटीएफ की कार्रवाई और पेपर लीक का खुलासा
यूपी पुलिस आरक्षी भर्ती परीक्षा 17 और 18 फरवरी 2024 को विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की गई थी। परीक्षा से कुछ दिन पहले ही पेपर लीक होने की खबरें सामने आईं। नकल माफिया ने भारी रकम लेकर अभ्यर्थियों को पेपर और उसके उत्तर उपलब्ध कराए। पेपर लीक का खुलासा तब हुआ जब सोशल मीडिया पर परीक्षा की उत्तर कुंजी वायरल हो गई। इस घटना के बाद परीक्षार्थियों ने नाराजगी जाहिर की, और शासन ने परीक्षा को रद्द कर दिया।
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पेपर लीक की जांच का जिम्मा मेरठ एसटीएफ यूनिट को सौंपा गया। 5 मार्च 2024 को मेरठ के कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र से छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इनमें दीपक उर्फ दीप, बिट्टू, प्रवीण, रोहित उर्फ ललित, साहिल और नवीन शामिल थे। इन पर धोखाधड़ी और सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
एसटीएफ की जांच में सामने आया कि पेपर को गुरुग्राम और मध्यप्रदेश के रीवा स्थित रिसॉर्ट्स में लीक किया गया था, जहां करीब 1200 अभ्यर्थियों को परीक्षा से पहले पेपर पढ़ाया गया। 12 मार्च को जींद निवासी महेंद्र और उसके बाद अभिषेक शुक्ला, रोहित पांडेय व शिवम गिरी जैसे प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
✜ रवि अत्री और राजीव नयन मिश्रा गैंग ने किया पेपर लीक
एसटीएफ ने जांच में खुलासा किया कि अहमदाबाद की एक कंपनी के वेयरहाउस से पेपर लीक किया गया था। यह काम रवि अत्री और राजीव नयन मिश्रा गैंग ने किया। इस गैंग के सदस्य पेपर को परीक्षा केंद्र तक पहुंचने से पहले ही लीक कर देते थे और इसे मोटी रकम में बेचते थे।
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अब तक गिरफ्तार किए गए प्रमुख आरोपियों में रवि अत्री, विक्रम पहल, राजीव नयन मिश्रा, शुभम मंडल, शिवम और रोहित कुमार शामिल हैं। इस प्रकरण में 50 से अधिक संदिग्धों की पहचान की गई है, जिनमें यूपी, बिहार, झारखंड, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश के लोग शामिल हैं।
यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक प्रकरण ने नकल माफिया के गहरे जाल का खुलासा किया है। एसटीएफ ने अब तक इस मामले में सराहनीय कार्य किया है। हालांकि, फरार आरोपियों की गिरफ्तारी और इस गिरोह के पूर्ण सफाए के लिए अभी और सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। यह घटना सभी के लिए एक सबक है कि परीक्षाओं की शुचिता बनाए रखना कितना आवश्यक है।