उत्तर प्रदेश उपचुनाव 2024: बीजेपी का दबदबा, सपा सीमित, बसपा का बुरा प्रदर्शन।

Uttar Pradesh by-elections 2024: BJP dominates, SP limited, BSP performs poorly | Roglance News

उत्तर प्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे सामने आ चुके हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने अधिकांश सीटों पर कब्जा कर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) ने केवल दो सीटों पर जीत दर्ज की, और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रदर्शन ने निराश किया।

इस लेख में, हम इन चुनावी नतीजों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि किन कारकों ने इस परिणाम को प्रभावित किया।
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✜  बीजेपी का भगवा लहराया, रालोद का मीरापुर पर कब्जा

नौ सीटों के इन उपचुनावों में से छह सीटें भाजपा के खाते में गईं, जबकि मीरापुर सीट पर भाजपा के सहयोगी दल रालोद ने जीत दर्ज की। इस प्रकार एनडीए ने कुल सात सीटें हासिल कर अपनी पकड़ को मजबूत किया।

जीत के प्रमुख आंकड़े  —
  • गाजियाबाद (लोनी): भाजपा के संजीव शर्मा ने 69351 मतों के बड़े अंतर से जीत हासिल की।
  • कटेहरी: धर्मराज निषाद ने 34514 मतों से सपा की शोभावती वर्मा को हराया।
  • कुंदरकी: रामवीर सिंह ने सपा के मोहम्मद रिजवान को रिकॉर्ड 144791 मतों से हराया।
  • मझवां: भाजपा की सुष्मिता मौर्य ने सपा की डॉ. ज्योति को 4922 मतों से पराजित किया।
  • फूलपुर: दीपक पटेल ने सपा के मोहम्मद मुञ्तबा सिद्दीकी को 11305 मतों से हराया।
मीरापुर से रालोद प्रत्याशी मिथिलेश पाल ने 30796 वोटों के अंतर से जीत दर्ज कर एनडीए की शक्ति में इजाफा किया।

✜  सपा का प्रदर्शन: केवल करहल और सीसामऊ पर कब्जा

सपा केवल दो सीटों - करहल और सीसामऊ - पर ही अपनी जीत बचा पाई।
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मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी तेज प्रताप यादव ने 14725 वोटों से भाजपा के अनुजेश प्रताप यादव को हराया।
  • तेज प्रताप को: 1,04,304 वोट
  • अनुजेश को: 89,579 वोट
सपा को कुंदरकी और अन्य सीटों पर करारी हार का सामना करना पड़ा। कुंदरकी में भाजपा के रामवीर सिंह ने रिकॉर्ड 144791 मतों के अंतर से सपा प्रत्याशी को हराया।

✜  बसपा का प्रदर्शन: इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन

इस उपचुनाव में बसपा का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। करहल सीट पर बसपा प्रत्याशी अविनाश शाक्य केवल 8409 वोट ही हासिल कर सके। उनकी जमानत जब्त हो गई, और यह बसपा के इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन माना जा रहा है।

उत्तर प्रदेश उपचुनाव 2024 ने स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा और उसके सहयोगी दल मजबूत स्थिति में हैं। सपा को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा, जबकि बसपा को पुनर्जीवित होने के लिए नई दिशा और नेतृत्व की आवश्यकता है।

क्या सपा और बसपा अपनी कमियों को दूर कर 2024 के लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे? यह देखना दिलचस्प होगा।