चुनावी जंग में भाजपा, सपा और बसपा के सभी उम्मीदवारों की तस्वीर साफ।

The picture of all the candidates of BJP, SP and BSP in the election battle is clear | Roglance News

उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में इस बार प्रमुख राजनीतिक दलों - भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), समाजवादी पार्टी (सपा), और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपने उम्मीदवारों के चयन में खास रणनीति अपनाई है। भाजपा ने ओबीसी वर्ग पर विशेष ध्यान देते हुए टिकट का वितरण किया है, जबकि सपा ने अपने पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) गठबंधन के तहत मुस्लिम समुदाय को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। बसपा ने अपनी पारंपरिक सोशल इंजीनियरिंग को अपनाते हुए उम्मीदवारों का चयन किया है। भाजपा ने अपनी रणनीति में ओबीसी वर्ग को तवज्जो दी है। प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले इन उपचुनावों में भाजपा ने आठ सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है, जिसमें चार ओबीसी उम्मीदवार हैं। इससे स्पष्ट है कि भाजपा ओबीसी वोट बैंक को साधने की पूरी कोशिश में है। 

भाजपा ने कुंदरकी सीट से रामवीर सिंह ठाकुर को मैदान में उतारा है, जो पिछली बार भी इस सीट से उम्मीदवार थे। इसके अलावा, अलीगढ़ की खैर सुरक्षित सीट से सुरेंद्र दिलेर, जो पूर्व सांसद राजवीर दिलेर के पुत्र हैं, को प्रत्याशी बनाया गया है। भाजपा ने इस बार टिकट वितरण में एक सवर्ण, चार ओबीसी, और एक दलित प्रत्याशी को जगह दी है। यह रणनीति दर्शाती है कि पार्टी ने ओबीसी समुदाय को लुभाने के लिए गंभीर कदम उठाए हैं।


✲  सपा का पीडीए फॉर्मूला: मुस्लिम समुदाय पर ध्यान 

समाजवादी पार्टी ने इस बार अपने पीडीए फॉर्मूले पर भरोसा जताया है। पार्टी ने नौ सीटों में से चार सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जबकि तीन सीटों पर ओबीसी उम्मीदवारों को चुना है। इसके अलावा, दो सीटों पर दलित उम्मीदवारों को स्थान दिया गया है। गाजियाबाद की सीट पर सपा ने सिंह राज जाटव को प्रत्याशी बनाया है, वहीं खैर सीट पर चारू केन को टिकट दिया गया है, जो कि कांग्रेस से जुड़ी नेता रही हैं। मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से सपा ने मोहम्मद रिजवान को टिकट दिया है, जो सपा के मुस्लिम समुदाय को अपनी ओर आकर्षित करने की मंशा को दर्शाता है।

बहुजन समाज पार्टी ने अपनी पुरानी सोशल इंजीनियरिंग नीति पर भरोसा जताते हुए टिकट वितरण किया है। अलीगढ़ की खैर सीट पर हालांकि बसपा को प्रत्याशी चयन में मुश्किलें आईं, लेकिन पार्टी ने बाकि आठ सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। बसपा की इस रणनीति का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देना है, ताकि हर समुदाय से पार्टी को समर्थन मिल सके। बसपा ने जिस प्रकार से उम्मीदवारों का चयन किया है, उससे यह स्पष्ट है कि पार्टी सभी वर्गों को एक साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है। इससे बसपा को उम्मीद है कि विभिन्न वर्गों का समर्थन उसे इन उपचुनावों में मिल सकता है।


यूपी के उपचुनाव में इस बार के टिकट वितरण से स्पष्ट है कि सभी पार्टियों ने अपने प्रमुख वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। भाजपा ने जहां ओबीसी को प्राथमिकता दी है, वहीं सपा ने मुस्लिम और ओबीसी समुदाय पर ध्यान केंद्रित किया है। दूसरी ओर, बसपा ने अपने सभी पारंपरिक वर्गों को साधने का प्रयास किया है।