भाजपा ने कुंदरकी सीट से रामवीर सिंह ठाकुर को मैदान में उतारा है, जो पिछली बार भी इस सीट से उम्मीदवार थे। इसके अलावा, अलीगढ़ की खैर सुरक्षित सीट से सुरेंद्र दिलेर, जो पूर्व सांसद राजवीर दिलेर के पुत्र हैं, को प्रत्याशी बनाया गया है। भाजपा ने इस बार टिकट वितरण में एक सवर्ण, चार ओबीसी, और एक दलित प्रत्याशी को जगह दी है। यह रणनीति दर्शाती है कि पार्टी ने ओबीसी समुदाय को लुभाने के लिए गंभीर कदम उठाए हैं।
✲ सपा का पीडीए फॉर्मूला: मुस्लिम समुदाय पर ध्यान
समाजवादी पार्टी ने इस बार अपने पीडीए फॉर्मूले पर भरोसा जताया है। पार्टी ने नौ सीटों में से चार सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जबकि तीन सीटों पर ओबीसी उम्मीदवारों को चुना है। इसके अलावा, दो सीटों पर दलित उम्मीदवारों को स्थान दिया गया है। गाजियाबाद की सीट पर सपा ने सिंह राज जाटव को प्रत्याशी बनाया है, वहीं खैर सीट पर चारू केन को टिकट दिया गया है, जो कि कांग्रेस से जुड़ी नेता रही हैं। मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से सपा ने मोहम्मद रिजवान को टिकट दिया है, जो सपा के मुस्लिम समुदाय को अपनी ओर आकर्षित करने की मंशा को दर्शाता है।
बहुजन समाज पार्टी ने अपनी पुरानी सोशल इंजीनियरिंग नीति पर भरोसा जताते हुए टिकट वितरण किया है। अलीगढ़ की खैर सीट पर हालांकि बसपा को प्रत्याशी चयन में मुश्किलें आईं, लेकिन पार्टी ने बाकि आठ सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। बसपा की इस रणनीति का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देना है, ताकि हर समुदाय से पार्टी को समर्थन मिल सके। बसपा ने जिस प्रकार से उम्मीदवारों का चयन किया है, उससे यह स्पष्ट है कि पार्टी सभी वर्गों को एक साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है। इससे बसपा को उम्मीद है कि विभिन्न वर्गों का समर्थन उसे इन उपचुनावों में मिल सकता है।
यूपी के उपचुनाव में इस बार के टिकट वितरण से स्पष्ट है कि सभी पार्टियों ने अपने प्रमुख वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। भाजपा ने जहां ओबीसी को प्राथमिकता दी है, वहीं सपा ने मुस्लिम और ओबीसी समुदाय पर ध्यान केंद्रित किया है। दूसरी ओर, बसपा ने अपने सभी पारंपरिक वर्गों को साधने का प्रयास किया है।