सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सरकारी नौकरी भर्ती प्रक्रिया में नियमों का बदलाव नहीं।

Supreme Court's big decision: No change in rules in government job recruitment process | Roglance News

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट की पाँच जजों की संविधान पीठ ने सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। इस फैसले में कहा गया कि सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया में नियमों और अहर्ताओं में तब तक बदलाव नहीं किया जा सकता जब तक कि इसकी अनुमति नियम न दें। संविधान पीठ ने इस प्रकार के बदलाव को "खेल शुरू होने के बाद नियम बदलने" के समान करार दिया। यह फैसला सरकारी नौकरियों के अभ्यर्थियों के लिए एक बड़ी राहत मानी जा रही है, क्योंकि अब किसी भी भर्ती प्रक्रिया में अचानक से नियम बदलकर योग्य उम्मीदवारों को बाहर नहीं किया जा सकेगा।

✲  भर्ती प्रक्रिया और नियमों में बदलाव

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, पीएस नरसिम्हा, पंकज मिथल, और मनोज मिश्रा शामिल थे। संविधान पीठ ने इस फैसले में कहा कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान नियमों में बदलाव करना न केवल प्रक्रिया की पारदर्शिता को प्रभावित करता है, बल्कि योग्य उम्मीदवारों के लिए भी अनुचित है। इस मामले में संविधान पीठ ने साफ किया कि भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत विज्ञापन जारी करने से होती है, और यह प्रक्रिया रिक्तियों को भरने के साथ ही समाप्त होती है। इस दौरान नियम बदलना न्यायसंगत नहीं है, क्योंकि ऐसा करना खेल के बीच में नियमों में परिवर्तन करने जैसा होगा।


इस फैसले से भर्ती प्रक्रिया के दौरान होने वाले अनियमित बदलावों पर अंकुश लगेगा। संविधान पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि चयन सूची में पात्रता मानदंड और भर्ती प्रक्रिया के लिए लागू नियम बीच में नहीं बदले जा सकते। अगर किसी भर्ती में नियमों में बदलाव करना आवश्यक है, तो वह बदलाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही लागू होना चाहिए। इस प्रकार, इस निर्णय से भविष्य में सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी और नियमों का अनुपालन सुनिश्चित होगा।

✲  न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा का बयान

संविधान पीठ में शामिल न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि वैधानिक बल वाले नियम भर्ती निकायों के लिए बाध्यकारी होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जहां वैधानिक नियम उपलब्ध नहीं होते, वहां प्रशासनिक निर्देशों का पालन किया जा सकता है। इस प्रकार, यह फैसला भर्ती निकायों के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश बन गया है। अब भर्ती निकायों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे बिना किसी प्रशासनिक निर्णय के भर्ती प्रक्रिया के दौरान किसी भी प्रकार के नियम में बदलाव न करें।

इस ऐतिहासिक फैसले के बाद सरकारी नौकरियों की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को काफी राहत मिलेगी। उन्हें यह विश्वास होगा कि जिस विज्ञापन में वे आवेदन कर रहे हैं, उसमें निर्धारित नियम व अहर्ताएं भर्ती प्रक्रिया के दौरान नहीं बदलेंगी। अक्सर देखा गया है कि भर्ती प्रक्रिया के बीच में नियमों को बदलकर कुछ विशेष अभ्यर्थियों को लाभ पहुँचाने की कोशिश की जाती है, जिससे बाकी अभ्यर्थियों को नुकसान होता है। इस फैसले से अब ऐसी प्रक्रियाओं पर अंकुश लगेगा और सभी को समान अवसर मिलेगा।

✲  जेट एयरवेज की परिसंपत्तियों को बेचने का आदेश

इस फैसले के अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने बंद पड़ी जेट एयरवेज की परिसंपत्तियों को बेचने का भी निर्देश दिया। कोर्ट ने यह निर्णय अनुच्छेद 142 के तहत असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए दिया है, जिससे जेट एयरवेज के लेनदारों, कर्मचारियों और अन्य हितधारकों को फायदा पहुंचेगा। कोर्ट ने अपने इस निर्णय से राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण के 12 मार्च 2024 के उस फैसले को भी रद्द कर दिया है, जिसमें जेट एयरवेज की समाधान योजना को मंजूरी दी गई थी।


अनुच्छेद 142 के तहत न्यायालय की असाधारण शक्ति सुप्रीम कोर्ट ने जेट एयरवेज के मामले में अनुच्छेद 142 का उपयोग करके अपना फैसला सुनाया। यह अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट को ऐसी असाधारण शक्ति देता है, जिसके तहत वह "पूर्ण न्याय" के लिए निर्णय ले सकता है। इस अनुच्छेद का उपयोग विशेष परिस्थितियों में किया जाता है, और इसके जरिए सुप्रीम कोर्ट किसी भी मामले में न्यायिक आदेश देने में सक्षम होती है।

लेनदारों और कर्मचारियों को राहत इस फैसले से जेट एयरवेज के दिवालिया होने की स्थिति में उसके लेनदारों और कर्मचारियों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है। परिसंपत्तियों के बिक्री के बाद मिलने वाले पैसे से सभी बकाया भुगतान पूरे किए जा सकेंगे। इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय लेनदारों और कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भर्ती प्रक्रिया और अन्य मामलों में नियमों की पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया में नियमों को बिना अनुमति के बीच में बदलना न केवल अनुचित है, बल्कि न्याय के सिद्धांतों के भी खिलाफ है। संविधान पीठ का यह फैसला सरकार और भर्ती निकायों के लिए एक सख्त दिशा-निर्देश है कि वे बिना किसी आधार के भर्ती प्रक्रिया के नियमों में बदलाव नहीं कर सकते। इसके अलावा, जेट एयरवेज के परिसंपत्तियों को बेचने का आदेश भी लेनदारों और कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में सामने आया है।

इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट के ये दोनों फैसले कानून और न्याय की मर्यादा को बरकरार रखते हुए समाज के हित में लिए गए हैं।