खाद्य विभाग के सहायक आयुक्त द्वितीय डॉ. श्वेता सैनी और मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी ए.के. पाठक के नेतृत्व में यह अभियान चलाया गया। यह छापेमारी मुख्यतः मैनपुरी शहर, करहल रोड और आसपास के गांवों में की गई। इस दौरान खाद्य विभाग की टीम ने कई स्थानों पर छानबीन की और जहां भी संदेह हुआ, वहां से नमूने लिए गए। विभिन्न खाद्य पदार्थों के नमूने लेकर उन्हें परीक्षण के लिए भेजा गया, ताकि उनकी गुणवत्ता और शुद्धता का मूल्यांकन किया जा सके।
✲ 90 कुंतल रिफाइंड सोयाबीन तेल की जब्ती
छापेमारी के दौरान सबसे बड़ी कार्रवाई आगरा रोड बाईपास स्थित बांके बिहारी ट्रेडर्स के खिलाफ की गई, जहां बिना लाइसेंस के 90 कुंतल रिफाइंड सोयाबीन तेल अवैध रूप से संग्रहित पाया गया। इस तेल की अनुमानित कीमत 11 लाख 69 हजार रुपए बताई जा रही है। इसे जब्त कर विक्रेता की अभिरक्षा में दे दिया गया। ऐसे मामलों में, बिना लाइसेंस के खाद्य वस्तुओं का भंडारण करना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह उपभोक्ताओं की सेहत के लिए भी खतरनाक हो सकता है। इस प्रकार की कार्रवाई से भविष्य में अन्य खाद्य कारोबारियों को भी सख्त संदेश जाएगा कि बिना लाइसेंस और मिलावट करने की प्रवृत्ति बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मैनपुरी जैसे छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में त्योहारों पर मिठाई, दूध, खोया और अन्य खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ जाती है। इस अवसर का फायदा उठाकर कई व्यापारियों द्वारा मिलावट की जाती है, जिससे उपभोक्ताओं की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। खाद्य विभाग ने इस बार कड़ी कार्रवाई की है, ताकि लोगों को सुरक्षित और मिलावट रहित खाद्य सामग्री प्राप्त हो सके। विभाग ने मिठाई और दूध जैसी वस्तुओं के कई नमूने भी लिए हैं, जिनकी जांच चल रही है।
मैनपुरी में 90 कुंतल रिफाइंड सोयाबीन तेल की जब्ती की यह घटना केवल एक उदाहरण है, लेकिन इससे यह साबित होता है कि खाद्य विभाग अब सख्त कार्रवाई करने के मूड में है। त्योहारों पर मिलावटखोरी रोकना न केवल सरकार का कर्तव्य है, बल्कि उपभोक्ताओं का भी फर्ज है कि वे जागरूक बनें। यदि सरकार, खाद्य विभाग, और जनता मिलकर इस दिशा में काम करें, तो मिलावट मुक्त समाज की कल्पना को साकार किया जा सकता है।
इस कार्रवाई के बाद व्यापारियों में हड़कंप मच गया है, जो कि मिलावटखोरी पर अंकुश लगाने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।