विधान मंडल में अधिकारियों के क़रीबियों को नौकरी, हाईकोर्ट ने ‘घोटाला’ बताया।

Uttar Pradesh: High Court calls jobs in legislative assembly to close relatives of officials a 'scam' | Roglance News

यूपी विधानसभा में 186 पदों की भर्ती में गड़बड़ी का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। 2020 में शुरू हुई इस भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए असफल अभ्यर्थियों ने रिजल्ट को हाई कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट में याचिका दाखिल होने के बाद यह मुद्दा और गरमा गया है। भर्ती प्रक्रिया को लेकर सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं, और अब जांच की मांग तेज हो गई है।

✜  लखनऊ: भर्ती घोटाले की जांच पर बढ़ा विवाद

उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद में 186 पदों पर हुई भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। हाई कोर्ट द्वारा इसे "घोटाला" कहे जाने के बाद प्रशासनिक महकमे में हलचल मच गई है। जांच में पाया गया कि नियुक्तियों में हर पांचवां कैंडिडेट वीवीआईपी के रिश्तेदार है। यह मामले समीक्षा अधिकारी (आरओ), सहायक आरओ (एआरओ), और अन्य जूनियर पदों पर नियुक्तियों से जुड़े हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने इस विषय पर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है।

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उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय और परिषद सचिवालय में भर्ती प्रक्रिया दो चरणों में संपन्न हुई। पहली भर्ती प्रक्रिया सितंबर 2020 में 99 पदों के लिए शुरू हुई, जिसमें प्रारंभिक परीक्षा 22 और 29 नवंबर 2020 को आयोजित की गई। मुख्य परीक्षा दिसंबर 2020 में हुई और परिणाम 11 मार्च 2021 को घोषित हुआ। दूसरी प्रक्रिया दिसंबर 2020 में 87 पदों के लिए शुरू हुई, जिसमें प्रारंभिक परीक्षा 24 जनवरी 2021 को, मुख्य परीक्षा 27 फरवरी 2021 को, और टाइपिंग टेस्ट 14 मार्च 2021 को हुआ। इस प्रक्रिया का परिणाम 26 मार्च 2021 को घोषित किया गया। दोनों प्रक्रियाओं में लगभग 2.5 लाख अभ्यर्थियों ने भाग लिया।