उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षामित्र शिक्षक के समान कार्य करते हैं। हालांकि, उन्हें सरकारी शिक्षकों की तरह वेतन नहीं मिलता। वर्तमान में शिक्षामित्रों को मात्र ₹10,000 प्रति माह मानदेय दिया जाता है, जो उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। यह स्थिति लंबे समय से चर्चा का विषय रही है, और शिक्षामित्र सम्मानजनक वेतन की मांग करते आ रहे हैं।
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✜ सरकार का बड़ा कदम और कितना बढ़ेगा मानदेय?
राज्य सरकार ने वित्त विभाग को शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि के संबंध में पत्र भेजा है। इस संबंध में सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही अवमानना याचिका के दौरान भी जानकारी दी। अदालत को सूचित किया गया कि वित्त विभाग को इस मामले में रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे साफ है कि सरकार इस मुद्दे को लेकर गंभीर है और जल्द ही शिक्षामित्रों के मानदेय में बढ़ोतरी की जाएगी।
हालांकि, अभी तक शिक्षामित्रों के मानदेय में कितनी वृद्धि होगी, इसका स्पष्ट खुलासा नहीं हुआ है। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिक्षामित्रों के मानदेय में ₹5000 से ₹10,000 तक की वृद्धि हो सकती है। यदि ऐसा होता है, तो शिक्षामित्रों को प्रति माह ₹15,000 से ₹20,000 तक का मानदेय मिल सकता है।
✜ शिक्षामित्रों की मांग और सरकार का बयान
शिक्षामित्र लंबे समय से समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे भी शिक्षकों के बराबर शिक्षण कार्य करते हैं, इसलिए उन्हें भी सम्मानजनक वेतन मिलना चाहिए। हालांकि, राज्य सरकार ने अभी ₹30,000 न्यूनतम वेतन की मांग पर सहमति नहीं जताई है। लेकिन मानदेय में वृद्धि का कदम शिक्षामित्रों के लिए एक राहत भरी खबर है।
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उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के लिए यह खबर एक नई शुरुआत का संकेत है। मानदेय में बढ़ोतरी का फैसला उनके जीवन स्तर को सुधारने में मदद करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह पहल शिक्षामित्रों के योगदान को सम्मान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब देखना यह है कि सरकार कितनी जल्दी इस निर्णय को लागू करती है और शिक्षामित्रों को नए मानदेय का लाभ कब से मिलना शुरू होता है।