कांस्टेबल पुलिस परीक्षा 2024: आगरा और मैनपुरी में फर्जी दस्तावेजों से पकड़े गए अभ्यार्थी।

UP Police Exam 2024 | Roglance News

भारत में सरकारी नौकरियों की चाह रखने वाले अभ्यर्थियों के लिए पुलिस भर्ती परीक्षा एक महत्वपूर्ण अवसर होती है। यह परीक्षा न केवल शारीरिक क्षमता की मांग करती है, बल्कि उम्मीदवारों से सच्चाई, ईमानदारी और जिम्मेदारी की अपेक्षा भी करती है। हालांकि, हाल की घटनाएं इस तथ्य को उजागर करती हैं कि कुछ उम्मीदवार, पुलिस बल में शामिल होने के लिए, गलत तरीके अपनाने से भी नहीं हिचकिचाते। हाल ही में आगरा और मैनपुरी में हुई पुलिस आरक्षी भर्ती परीक्षा में इसी तरह की घटनाएं देखने को मिलीं, जहां पांच उम्मीदवारों को फर्जी दस्तावेजों के साथ परीक्षा देते हुए पकड़ा गया।

आगरा और मैनपुरी में पुलिस भर्ती परीक्षा के दौरान पकड़े गए पांच अभ्यर्थियों ने अपनी आयु कम दिखाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया था। इस तरह के मामलों में, उम्मीदवार अक्सर हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा दोबारा देकर अपनी आयु कम करने का प्रयास करते हैं। इससे वे परीक्षा में पात्र हो जाते हैं और उनके चयन की संभावना बढ़ जाती है।

उदाहरण के लिए, आगरा के सेंट जॉस कॉलेज में पकड़े गए समीर की असली जन्मतिथि 1987 है, लेकिन उसने 1996 की जन्मतिथि दर्शाते हुए 10वीं और 12वीं की परीक्षा दोबारा दी थी। इसी तरह, अन्य उम्मीदवारों ने भी अपनी जन्मतिथि में बदलाव करके आधार कार्ड में गलत जानकारी दर्ज करवाई थी। इन मामलों में, परीक्षा केंद्रों पर बायोमेट्रिक जांच के दौरान फर्जीवाड़े का पता चला और पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इन उम्मीदवारों के खिलाफ धोखाधड़ी और परीक्षा अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए।

✲  पुलिस द्वारा फर्जी दस्तावेज वालो पर कार्रवाई 

यह गौरतलब है कि पुलिस भर्ती परीक्षा के दौरान पुलिस और खुफिया विभाग का तंत्र पूरी तरह से विफल साबित हुआ। अधिकांश गिरफ्तारियां लखनऊ से मिली सूचनाओं के आधार पर ही की गईं। स्थानीय पुलिस और खुफिया तंत्र की ओर से अपने स्तर पर कोई बड़ी सफलता नहीं मिली। पुलिस प्रशासन की यह कमजोरी उन लोगों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है जो सच्चाई और न्याय के लिए पुलिस बल पर भरोसा करते हैं।


पुलिस विभाग को चाहिए कि वह अपने खुफिया तंत्र को और अधिक सुदृढ़ करे ताकि परीक्षा में फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करने वाले अभ्यर्थियों को समय रहते पकड़ा जा सके। अगर पुलिस अपने स्तर पर जांच और निगरानी करती, तो संभवतः और भी फर्जीवाड़े पकड़े जा सकते थे।

फिरोजाबाद जिले के छह केंद्रों पर परीक्षा के अंतिम दिन भी सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में पुलिस भर्ती लिखित परीक्षा कराई गई। प्रशासन ने किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से बचने के लिए पुलिस फोर्स को पूरी तरह से सतर्क रखा था। डीएम और एसपी खुद विभिन्न परीक्षा केंद्रों का भ्रमण करते रहे, जिससे परीक्षा का आयोजन शांति और निष्पक्षता से किया जा सके।

परीक्षा के दौरान सख्ती का आलम यह था कि महिला अभ्यर्थियों को नाक और कान के जेवरात तक उतरवाए गए और अभ्यर्थियों के बेल्ट और जूते तक चेक किए गए। यह सख्ती दर्शाती है कि पुलिस प्रशासन किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या अनुचित साधनों का प्रयोग बर्दाश्त नहीं करेगा। इसी के चलते, 977 अभ्यर्थियों ने परीक्षा छोड़ दी, जो कि इस सख्ती का एक प्रमाण है।

निष्कर्ष: आगरा और मैनपुरी में हुई पुलिस भर्ती परीक्षा के दौरान फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करने वाले अभ्यर्थियों के पकड़े जाने की घटना ने एक बार फिर से इस मुद्दे को उजागर किया है कि हमारी भर्ती प्रक्रियाओं में और भी सुधार की आवश्यकता है। यह समय है कि हम समाज में जागरूकता फैलाएं और युवाओं को सही मार्गदर्शन दें ताकि वे अपने करियर को सही दिशा में ले जा सकें। फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर पुलिस बल में शामिल होने की कोशिश करना न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि यह समाज की सुरक्षा के लिए भी खतरा है। पुलिस भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि योग्य और समर्पित उम्मीदवार ही इस महत्वपूर्ण सेवा में शामिल हो सकें।