परीक्षा केंद्रों की संख्या घटाने का फैसला बोर्ड की गंभीरता को दर्शाता है। पहले के वर्षों में हर परीक्षा केंद्र पर परीक्षार्थियों की संख्या सीमित रहती थी, जिससे निगरानी में कठिनाई होती थी। लेकिन अब परीक्षा केंद्रों पर अधिक परीक्षार्थी बैठाए जाएंगे, जिससे स्वाभाविक रूप से परीक्षा केंद्रों की संख्या में कमी आएगी।
बोर्ड ने इस बार परीक्षा केंद्रों पर अधिकतम 2000 परीक्षार्थियों को बैठाने का प्रस्ताव रखा है, जो पहले के मुकाबले एक बड़ा बदलाव है। वर्ष 2024 की परीक्षा में वित्तविहीन स्कूलों में अधिकतम 1200 परीक्षार्थी और सरकारी स्कूलों में 1500 परीक्षार्थी बैठने की अनुमति थी। इससे स्पष्ट है कि इस बार बोर्ड की प्राथमिकता बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों को एक ही केंद्र पर एकत्र करना है ताकि परीक्षा की निगरानी में आसानी हो।
✲ परीक्षार्थियों के लिए सुविधा और निगरानी
बोर्ड ने परीक्षा केंद्रों की संख्या में कमी करने के बावजूद यह ध्यान रखा है कि परीक्षार्थियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। परीक्षा केंद्रों का आवंटन करते समय इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि वह स्कूल के सबसे नजदीक हो। बोर्ड ने यह नियम बनाया है कि परीक्षार्थियों को 12 किलोमीटर के दायरे में ही परीक्षा केंद्र आवंटित किया जाएगा। केवल असामान्य परिस्थितियों में ही परीक्षार्थियों को 12 किलोमीटर से अधिक दूरी पर परीक्षा देने के लिए भेजा जाएगा।
यह कदम छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए काफी राहतभरा साबित होगा, क्योंकि इससे उन्हें लंबी दूरी की यात्रा से बचाया जा सकेगा। परीक्षाओं के दौरान परिवहन और अन्य सुविधाओं की कमी के चलते अक्सर छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन अब यह समस्या कम हो जाएगी।
निगरानी का सख्त होना परीक्षा की निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है। यूपी बोर्ड का मानना है कि अगर परीक्षा केंद्रों की संख्या कम होगी, तो परीक्षा की निगरानी अधिक प्रभावी ढंग से की जा सकेगी। परीक्षा केंद्र कम होने से बोर्ड प्रशासन के लिए हर परीक्षा केंद्र पर उचित निगरानी करना और वहां के माहौल पर नियंत्रण रखना आसान होगा।
परीक्षा में नकल की समस्या एक लंबे समय से यूपी बोर्ड के लिए चुनौती रही है। इस बार के बदलावों से इस समस्या पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है। कम केंद्रों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाएगा और वहां लगे सीसीटीवी कैमरों और अन्य तकनीकी उपकरणों के माध्यम से निगरानी की जाएगी। इससे न केवल नकल की घटनाओं में कमी आएगी, बल्कि परीक्षार्थियों में भी यह संदेश जाएगा कि परीक्षा के दौरान अनुशासन का पालन करना अनिवार्य है।
✲ छात्रों के लिए विशेष व्यवस्था
छात्राओं और दिव्यांग छात्रों के लिए यूपी बोर्ड ने विशेष प्रावधान किए हैं, जो एक सराहनीय कदम है। छात्राओं के लिए परीक्षा केंद्र 7 किलोमीटर के अंदर ही आवंटित किए जाएंगे, जिससे वे आसानी से परीक्षा देने के लिए आ-जा सकें। छात्राओं की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है, ताकि उन्हें किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
दिव्यांग छात्रों के लिए भी बोर्ड ने 7 किलोमीटर के दायरे में परीक्षा केंद्र आवंटित करने का प्रावधान किया है। 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वाले छात्रों को इस नियम के तहत परीक्षा केंद्र आवंटित किए जाएंगे। यह कदम इस दिशा में एक बड़ा सुधार है, क्योंकि दिव्यांग छात्रों को लंबी दूरी तय करना उनके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से कष्टकारी हो सकता है। इस प्रकार की व्यवस्था से दिव्यांग छात्रों को बोर्ड परीक्षा में भाग लेने में आसानी होगी।
परीक्षा केंद्रों के आवंटन में यूपी बोर्ड ने वित्तविहीन और सरकारी स्कूलों के बीच भी अंतर किया है। वर्ष 2024 की परीक्षा में वित्तविहीन स्कूलों में 1200 और सरकारी स्कूलों में 1500 परीक्षार्थियों की सीमा तय की गई थी। लेकिन 2025 की परीक्षा के लिए यह संख्या बढ़ाकर 2000 कर दी गई है। इससे परीक्षा केंद्रों पर बेहतर व्यवस्थाओं की उम्मीद की जा रही है, क्योंकि बड़े केंद्रों पर व्यवस्थाओं का विस्तार भी बेहतर ढंग से किया जा सकता है। वित्तविहीन स्कूलों में परीक्षा केंद्रों की संख्या में कमी का कारण यह भी है कि उनमें संसाधनों की कमी होती है। जबकि सरकारी स्कूलों में अपेक्षाकृत अधिक सुविधाएं होती हैं, जो अधिक परीक्षार्थियों को संभालने में सक्षम होती हैं। यह बदलाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे परीक्षा केंद्रों की गुणवत्ता और निगरानी दोनों में सुधार होगा।
यूपी बोर्ड द्वारा परीक्षा केंद्रों की संख्या में कमी और निगरानी में सख्ती का फैसला एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल परीक्षा प्रणाली में सुधार करेगा, बल्कि परीक्षा की पारदर्शिता और निष्पक्षता को भी सुनिश्चित करेगा। छात्राओं और दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष प्रावधान, 12 किलोमीटर के भीतर परीक्षा केंद्र आवंटन, और तकनीकी निगरानी जैसी सुविधाओं से यह स्पष्ट है कि बोर्ड परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक सुलभ और विश्वसनीय बनाने के लिए प्रयासरत है।
परीक्षा केंद्रों की संख्या घटाने से परीक्षा संचालन अधिक प्रभावी होगा और परीक्षार्थियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। आने वाले वर्षों में बोर्ड परीक्षा की गुणवत्ता और बढ़ने की उम्मीद है, और यह फैसला उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।