सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी स्कूलों, चाहे वे बेसिक हों या माध्यमिक, में बच्चों को खेलकूद की सुविधाएं मिलें। इस बार भी प्रत्येक प्राथमिक स्कूल को पांच हजार रुपये और जूनियर हाईस्कूल को दस हजार रुपये की राशि भेजी जाएगी। इससे स्कूलों में विभिन्न खेलों के लिए आवश्यक उपकरण जैसे फुटबॉल, बास्केटबॉल, बैडमिंटन, वॉलीबॉल, क्रिकेट और एथलेटिक्स से संबंधित उपकरण खरीदे जा सकेंगे।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में खेलकूद किट की खरीद को लेकर कुछ गड़बड़ियाँ भी सामने आई हैं। कुछ स्कूलों में खेलकूद किट के लिए आवंटित धनराशि का सही इस्तेमाल नहीं किया गया। कई प्रधानाध्यापकों ने नए उपकरणों की जगह पुराने उपकरणों को ही बिलों में दर्शा दिया, जिससे खेलकूद सामग्री की खरीद में गड़बड़ी हो गई। यह स्थिति बहुत ही चिंताजनक है क्योंकि इससे बच्चों को नए और आधुनिक उपकरणों का लाभ नहीं मिल पाता है।
इस बार सरकार और शिक्षा विभाग ने इन कमियों को दूर करने के लिए खंड शिक्षाधिकारियों को निगरानी के निर्देश दिए हैं। खंड शिक्षाधिकारी इस बात का ध्यान रखेंगे कि खेलकूद किट की खरीद पूरी पारदर्शिता से हो और इसमें किसी प्रकार की अनियमितता न हो। इसके साथ ही शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि खेलकूद की सामग्री सही तरीके से खरीदी जाए और बच्चों के उपयोग के लिए समय पर उपलब्ध कराई जाए।
सरकार की यह पहल कि वह स्कूलों में खेलकूद सामग्री के लिए धनराशि उपलब्ध करा रही है, सराहनीय है। इससे न केवल बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में सुधार होगा, बल्कि उनके जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी उन्हें लाभ मिलेगा। हालांकि, खेलकूद किट की खरीद में पारदर्शिता बनाए रखना और इसका सही उपयोग सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। खंड शिक्षाधिकारियों और प्रधानाध्यापकों को इस दिशा में जागरूकता और सख्ती से काम करना होगा ताकि सरकार की यह योजना पूरी तरह सफल हो सके।
खेलकूद के माध्यम से बच्चे न केवल अपने स्वास्थ्य में सुधार करेंगे, बल्कि वे जीवन के महत्वपूर्ण गुणों को भी विकसित करेंगे जो उनके भविष्य को संवारने में सहायक होंगे। ऐसे में, यह आवश्यक है कि इस धनराशि का उपयोग सही तरीके से हो और सभी स्कूलों में खेलकूद की सामग्री समय पर उपलब्ध हो सके।