लगभग 20 दिन पहले जिला प्रशासन ने स्टेशन रोड पर स्थित कोचिंग सेंटरों पर छापेमारी की थी और उन्हें नोटिस जारी कर नियमों का पालन करने का आदेश दिया था। छापेमारी के दौरान कई खामियां सामने आई थीं, जैसे कि अग्निशमन यंत्रों का अभाव, भीड़भाड़ वाले बेसमेंट में कक्षाएं संचालित करना, और छात्र-छात्राओं के लिए उचित शौचालय का न होना। प्रशासन ने कोचिंग सेंटरों को सुधार के लिए समय दिया था, लेकिन जब 20 दिन बीतने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ, तो प्रशासन ने सोमवार को पुनः छापेमारी की।
✲ कोचिंग सेंटरो की मनमानी से छात्रों पर खतरा
सोमवार दोपहर को सिटी मजिस्ट्रेट राजेंद्र प्रसाद, सीएफओ सतेंद्र पांडेय और डीआइओएस धीरेंद्र कुमार की अगुवाई में स्टेशन रोड पर स्थित "रे-क्लासेस" कोचिंग सेंटर पर छापेमारी की गई। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में कक्षाएं संचालित हो रही थीं। भीड़भाड़ वाले बेसमेंट में आग से बचाव के उपकरण नदारद थे। छात्र-छात्राओं को तुरंत बाहर निकालते हुए प्रशासन ने बेसमेंट को सील कर दिया।
उच्च मंजिल पर भी 11वीं और 12वीं कक्षा के छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते मिले, जिनका रजिस्ट्रेशन आगरा के एक कॉन्वेंट स्कूल में था। यह स्पष्ट है कि कोचिंग सेंटर संचालक नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए, स्कूल समय में ही कक्षाएं चला रहे थे, जो कि पूरी तरह से अवैध है।
✲ झा क्लासेस और अन्य सेंटरों में भी अनियमितताएं
इसके बाद टीम ने झा क्लासेस पर छापा मारा, जहां 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं संचालित हो रही थीं। बेसमेंट में कक्षाएं चल रही थीं, जहां ना तो पर्याप्त वेंटिलेशन था और ना ही अग्निशमन के इंतजाम। अग्निशमन अधिकारियों ने बेसमेंट को सील कर दिया और अन्य कक्षाओं में क्षमता से अधिक छात्रों के होने की वजह से वहाँ भी कार्रवाई की। इस दौरान छात्रों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि उनका पंजीकरण आगरा के स्कूलों में है।
श्योर सक्सेज” कोचिंग में भी कई छात्र-छात्राएं कंप्यूटर की पढ़ाई करते मिले। यहां पर भी बेसमेंट में कक्षाएं चल रही थीं। प्रशासन ने इस कोचिंग सेंटर का भी बेसमेंट सील कर दिया। "एक्सपर्ट एकेडमी" के बेसमेंट में भी कंप्यूटर की कक्षाएं संचालित हो रही थीं। इन सभी जगहों पर प्रशासन को छात्रों की सुरक्षा के प्रति कोचिंग संचालकों की घोर लापरवाही दिखाई दी।
प्रशासनिक कार्रवाई की जानकारी होते ही स्टेशन रोड पर संचालित अन्य कोचिंग सेंटरों ने छुट्टी कर दी। इन कोचिंग सेंटरों में छठवीं से लेकर 12वीं तक के छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं, जिनके रजिस्ट्रेशन दूसरे जिलों के स्कूलों में हैं। यह घटना इस बात को दर्शाती है कि कोचिंग संचालक कार्रवाई के डर से ही नियमों का पालन करते हैं, अन्यथा वे प्रशासन को चुनौती देने से नहीं कतराते।
निष्कर्ष: फिरोजाबाद की घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि शिक्षा के क्षेत्र में भी नियमों का पालन जरूरी है। कोचिंग सेंटरों को छात्रों की सुरक्षा और शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं करना चाहिए। प्रशासन की इस कार्रवाई से उम्मीद है कि अन्य कोचिंग सेंटर भी सतर्क होंगे और नियमों का पालन करेंगे। छात्रों और उनके अभिभावकों को भी जागरूक होना चाहिए और ऐसे कोचिंग सेंटरों में ही दाखिला लेना चाहिए जो न केवल शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हों, बल्कि छात्रों की सुरक्षा और सुविधा का भी पूरा ध्यान रखते हों।