क्वाड की स्थापना वर्ष 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे की पहल के तहत हुई थी, जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखना था। हालांकि ऑस्ट्रेलिया में सत्ता परिवर्तन और कुछ अन्य कारणों से इस समूह की सक्रियता में कमी आई थी, लेकिन 2017 में इसे पुनर्जीवित किया गया। तब से, क्वाड के सदस्य देशों ने चीन की आक्रामक नीतियों और उसकी बढ़ती सैन्य ताकत का मुकाबला करने के लिए एकजुट होकर प्रयास किए हैं।
चीन का दक्षिण चीन सागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विस्तारवादी रुख, और उसकी आक्रामक सैन्य और आर्थिक गतिविधियां, क्वाड के लिए प्रमुख चुनौतियों में से एक रही हैं। इस क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए, क्वाड के सदस्य देशों ने समुद्री सुरक्षा, उभरती प्रौद्योगिकियों और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर घनिष्ठ सहयोग करना शुरू किया है।
✲ प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा और द्विपक्षीय वार्ताएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरा कई मायनों में खास है। वह न केवल क्वाड शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं, बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के साथ द्विपक्षीय वार्ताएं भी कर रहे हैं। इन बैठकों का उद्देश्य न केवल क्वाड के एजेंडे को आगे बढ़ाना है, बल्कि भारत-अमेरिका के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करना है।
मोदी का यह दौरा भारतीय विदेश नीति के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अमेरिका के साथ संबंधों को और मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार, प्रौद्योगिकी, और जलवायु परिवर्तन जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने के प्रयास जारी हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत करेंगे, जिससे भारत की विदेश नीति और वहां की भारतीय जनता के साथ सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूती मिलेगी।
✲ क्वाड के सदस्य देशों के मध्य भारत की अहम भूमिका
क्वाड के चार सदस्य देशों के बीच सहयोग कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में देखा जा सकता है। पहला और सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र समुद्री सुरक्षा का है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए, क्वाड देशों ने संयुक्त नौसैनिक अभ्यासों और समुद्री संचालन में भागीदारी बढ़ाई है। इसका प्रमुख उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करना और समुद्री मार्गों की स्वतंत्रता को बनाए रखना है, जो वैश्विक व्यापार के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इसके अलावा, क्वाड ने उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), क्वांटम कम्प्यूटिंग, और सेमीकंडक्टर्स में भी सहयोग को बढ़ावा दिया है। यह न केवल चारों देशों के आर्थिक और तकनीकी विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी।
क्वाड के तहत भारत की भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत एक प्रमुख शक्ति है, और क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने के लिए इसका सहयोग आवश्यक है। क्वाड की सदस्यता के माध्यम से, भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने का एक सशक्त मंच मिला है। यह मंच न केवल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को संरक्षित करने में मददगार है, बल्कि इसे वैश्विक शक्ति संतुलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर भी प्रदान करता है।
भारत, क्वाड के अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त नौसैनिक अभ्यासों में भाग लेता है। यह अभ्यास न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इससे भारतीय नौसेना की क्षमता भी मजबूत होती है। इसके अलावा, क्वाड के माध्यम से भारत, अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया के साथ प्रौद्योगिकी, व्यापार और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को और गहरा कर रहा है।
क्वाड का महत्व न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण शक्ति संतुलन स्थापित करने में सहायक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस यात्रा से न केवल क्वाड के तहत सहयोग को और मजबूती मिलेगी, बल्कि भारत की वैश्विक भूमिका को भी और सशक्त किया जाएगा।