शिकोहाबाद: एफएस यूनिवर्सिटी के छात्रों ने कैंडल मार्च निकाला और न्याय की मांग की।


कोलकाता की दुष्कर्म की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना ने समाज के हर वर्ग में गहरी चिंता और आक्रोश पैदा किया है। शुक्रवार को शिकोहाबाद के एफएस कालेज के छात्रों ने कैंडल मार्च निकालकर इस अमानवीय कृत्य के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। उनका एक ही नारा था - दुष्कर्म पीड़िता को न्याय मिलना चाहिए और आरोपितों को फांसी की सजा दी जानी चाहिए।

एफएस विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने यह कैंडल मार्च शांति और सहानुभूति के साथ निकाला, लेकिन उनके चेहरों पर गुस्सा और दुःख स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था। कैंडल मार्च के बाद छात्रों ने पीड़िता के स्वजन के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट की और उनके लिए न्याय की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। 

इस आयोजन का शुभारंभ एफएस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. दिलीप यादव और प्रतिकुलाधिपति डॉ. योगेश यादव ने किया। कुलाधिपति डॉ. दिलीप यादव ने कहा, "इस घटना की जितनी निंदा की जाए, उतनी कम है। चिकित्सकों को भगवान का रूप कहा जाता है, लेकिन कोलकाता में जो कुछ हुआ, वह मानवता पर काला धब्बा है।"

कैंडल मार्च के दौरान छात्र-छात्राओं ने मोमबत्तियाँ जलाकर पीड़िता को श्रद्धांजलि अर्पित की और जोरदार नारेबाजी करते हुए आरोपितों को फांसी दिलाने की मांग की। छात्रों का कहना था कि ऐसे अपराधियों को समाज में जीने का कोई हक नहीं है और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की घिनौनी हरकत करने की हिम्मत न करे।


इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे, जिनमें डॉ. राहुल यादव, डॉ. नितिन यादव, कुलपति डॉ. संजीव भारद्वाज, और महानिदेशक डॉ. अभिनव श्रीवास्तव शामिल थे। सभी ने इस घटना की कठोर शब्दों में निंदा की और कहा कि न्याय तभी होगा जब दोषियों को उनके कृत्य की सजा मिलेगी। 

छात्रों और शिक्षकों ने एक स्वर में कहा कि देशभर में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कानून बनाने की जरूरत है और न्यायपालिका को ऐसे मामलों में शीघ्र निर्णय लेना चाहिए। न्याय के इंतजार में पीड़िता के परिवार को और दर्द सहने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। 

निष्कर्ष: कोलकाता की घटना ने एक बार फिर से हमारे समाज में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस तरह से छात्र-छात्राओं ने इस घटना के खिलाफ आवाज उठाई है, वह बताता है कि अब समाज चुप नहीं बैठेगा। अगर न्याय प्रणाली ने समय रहते कड़ा निर्णय नहीं लिया, तो आने वाले समय में इस तरह के प्रदर्शन और बड़े रूप में हो सकते हैं। न्याय की मांग हर भारतीय की है, और इसके लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।