विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अपनी आधिकारिक तीन दिवसीय मालदीव यात्रा के दौरान मालदीव के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू से माले में मुलाकात की। इस महत्वपूर्ण बैठक का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सुरक्षा, व्यापार, और विकास में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करना था। जयशंकर और मुइज्जू के बीच हुई यह मुलाकात भारत और मालदीव के बीच संबंधों को और अधिक गहरा बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
बैठक के बाद, विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने आधिकारिक X हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा, "राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू से मुलाकात कर गौरवान्वित महसूस किया। प्रधानमंत्री मोदी की ओर से शुभकामनाएं दी। हम हमारे लोगों और क्षेत्र के लाभ के लिए भारत-मालदीव संबंधों को गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत, मालदीव के साथ अपने संबंधों को नए सिरे से मजबूत करने के लिए तैयार है।
दूसरी ओर, राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, जिन्होंने पहले "इंडिया आउट" अभियान चलाया था, ने बैठक के बाद कहा कि भारत हमेशा से "सबसे करीबी" सहयोगियों और "अमूल्य" भागीदारों में से एक रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जब भी मालदीव को जरूरत पड़ी है, भारत ने उसे मदद प्रदान की है। इस बयान से यह संकेत मिलता है कि मुइज्जू की नई सरकार भारत के साथ संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करने और सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।
✲ भारत-मालदीव संबंध: नए आयाम
मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है। पिछली मालदीव सरकार के तहत, दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई थी। अब, राष्ट्रपति मुइज्जू के नेतृत्व में, ये संबंध किस दिशा में आगे बढ़ते हैं, यह देखने योग्य होगा।
इस यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने घोषणा की कि भारत और मालदीव ने द्वीपसमूह राष्ट्र में Unified Payments Interface (UPI) शुरू करने के लिए एक समझौता किया है। यह कदम पर्यटकों के लिए मालदीव में भुगतान को आसान बनाएगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा। समझौता ज्ञापन (MoU) पर 9 अगस्त को हस्ताक्षर किए गए थे, जो इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
✲ यात्रा के उद्देश्य और पृष्ठभूमि
विदेश मंत्री एस. जयशंकर की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच हाल के दिनों में तनाव बढ़ गया था। मालदीव में भारतीय सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने की मांग के बाद दोनों देशों के बीच कुछ मतभेद उभरे थे। राष्ट्रपति मुइज्जू के नेतृत्व में मालदीव ने भारत के साथ अपने संबंधों में बदलाव का संकेत दिया है, जिससे क्षेत्रीय कूटनीति में नई संभावनाएं उभर रही हैं।
मुइज्जू, जिन्हें उनके चीन समर्थक रुख के लिए जाना जाता है, ने अपने 'इंडिया आउट' अभियान के माध्यम से काफी लोकप्रियता हासिल की थी। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की नीतियों का विरोध करते हुए सितंबर 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की थी। इस जीत ने मालदीव के भू-राजनीतिक गठबंधनों में संभावित बदलाव का संकेत दिया है, जिसका भारत के साथ संबंधों पर भी असर पड़ सकता है।
जयशंकर की यह यात्रा, उनके विदेश मंत्री के दूसरे कार्यकाल में इस द्वीपसमूह राष्ट्र की पहली यात्रा है। इससे पहले, उन्होंने जनवरी 2023 में मालदीव का दौरा किया था, जो उस समय दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण पड़ाव था।
जयशंकर की मालदीव यात्रा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत और मालदीव के बीच संबंधों को और अधिक मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। सुरक्षा, व्यापार, और विकास में सहयोग बढ़ाने की दिशा में दोनों देशों के नेताओं की इस मुलाकात से नए द्विपक्षीय समझौतों और पहल की उम्मीदें जगी हैं।
आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि मुइज्जू की सरकार और भारत के बीच संबंध किस दिशा में आगे बढ़ते हैं। क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक विकास, और दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को मजबूत करने में यह यात्रा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।