फिरोजाबाद: 156 दवाइयों पर लगा प्रतिबंध, विक्रेताओं को 8 करोड़ का नुकसान।

Medicines ban in Firozabad | Roglance News

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने 156 दवाओं पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के बाद दवा विक्रेताओं के बीच एक हलचल मच गई है। इन दवाओं में टैबलेट्स, सीरप्स, इंजेक्शंस, और आई ड्रॉप्स शामिल हैं। यह प्रतिबंध व्यापारियों और चिकित्सा समुदाय के लिए एक बड़ा झटका है, विशेषकर फिरोजाबाद जिले में जहां इन दवाओं का एक बड़ा स्टॉक मौजूद है। व्यापारियों का कहना है कि उन्हें इस स्टॉक को समाप्त करने के लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता है, अन्यथा उन्हें भारी वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित की गई दवाओं की सूची में अधिकतर कांबिनेशन वाली दवाएं शामिल हैं। इनमें विभिन्न प्रकार की टैबलेट्स, सीरप्स, इंजेक्शंस और आई ड्रॉप्स शामिल हैं। कांबिनेशन दवाएं अक्सर निजी अस्पतालों में मरीजों को दी जाती हैं या फिर झोलाछाप चिकित्सा practitioners द्वारा उपयोग की जाती हैं। इन दवाओं का व्यापक उपयोग और उपलब्धता ने इन्हें प्रभावित करने वाले निर्णय को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

✲  सरकारी कार्यवाही और दवा विक्रेता की स्थिति 

डॉ. राजेंद्र शर्मा, जो कि फिरोजाबाद केमिस्ट व ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं, का कहना है कि व्यापारी प्रतिबंध की अनुपालना में सरकार के साथ हैं। हालांकि, उन्होंने मांग की है कि थोक विक्रेताओं को 45 दिन और रिटेल विक्रेताओं को 90 दिन का अतिरिक्त समय दिया जाए ताकि वे अपने स्टॉक को समाप्त कर सकें। यह कदम न केवल विक्रेताओं की वित्तीय स्थिति को सुरक्षित करने में मदद करेगा, बल्कि इसके साथ ही दवा की गुणवत्ता को बनाए रखने में भी योगदान करेगा।


फिरोजाबाद के दवा विक्रेताओं का कहना है कि उनके पास प्रतिबंधित दवाओं का एक बड़ा स्टॉक है, जिसकी कीमत लगभग आठ करोड़ रुपये है। इस स्टॉक को खत्म करने के लिए उन्हें कम से कम 90 दिनों का समय चाहिए। दवा विक्रेताओं के अनुसार, अगर यह दवाएं जल्द समाप्त नहीं की गईं, तो वे या तो बर्बाद हो जाएंगी या फिर उन्हें भारी वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ेगा। यह स्थिति विशेष रूप से उन छोटे मेडिकल स्टोर्स के लिए गंभीर है, जो वित्तीय रूप से कमजोर हो सकते हैं।

प्रतिबंधित दवाओं का इस्तेमाल आमतौर पर निजी अस्पतालों और झोलाछाप चिकित्सा practitioners द्वारा किया जाता है। ऐसे में, इन दवाओं के अचानक प्रतिबंध से चिकित्सा क्षेत्र में भी अस्थिरता आ सकती है। कई मरीजों को तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है, और इन दवाओं की अनुपलब्धता से उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, दवा विक्रेताओं के लिए यह आवश्यक है कि वे इस स्थिति का समाधान खोजें और सरकार के निर्देशों का पालन करें।

दवा विक्रेताओं की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि सरकार व्यापारियों को पर्याप्त समय दे ताकि वे अपने स्टॉक को खत्म कर सकें। इसके अतिरिक्त, सरकार को एक संवादात्मक मंच प्रदान करना चाहिए जहां विक्रेताओं और स्वास्थ्य अधिकारियों के बीच बेहतर संचार हो सके। यह भी महत्वपूर्ण है कि चिकित्सा क्षेत्र के लिए वैकल्पिक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए ताकि मरीजों को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।

156 दवाओं पर प्रतिबंध एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य निर्णय है, लेकिन इसके साथ जुड़े आर्थिक और प्रायोगिक मुद्दों को भी गंभीरता से देखने की आवश्यकता है। दवा विक्रेताओं को उचित समय प्रदान करना और उनकी समस्याओं का समाधान करना सरकार की जिम्मेदारी है। इस प्रकार के कदम न केवल दवा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करेंगे, बल्कि व्यापारियों की आर्थिक स्थिति को भी स्थिर बनाएंगे।

इस पूरी स्थिति को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि स्वास्थ्य और व्यापार दोनों ही दृष्टिकोणों से संतुलित निर्णय लेना आवश्यक है। सरकार और व्यापारियों के बीच प्रभावी संवाद और सहयोग से ही इस चुनौती का समाधान संभव है।