आतंकियों ने ऊंचाई वाले इलाके में अपनी पोजीशन बना रखी थी, जिससे उन्हें फायरिंग का व्यापक लाभ मिला। ऊंचाई से की गई अंधाधुंध फायरिंग ने सेना के जवानों को संभलने का मौका नहीं दिया। इस हमले में चार जवान बलिदान हो गए और छह घायल हो गए, जिन्हें तुरंत बिलावर के उपजिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया। घटना के तुरंत बाद सेना ने मोर्चा संभालते हुए आतंकियों के खिलाफ अभियान शुरू किया। अतिरिक्त फौज और पैरा कमांडो को एयरलिफ्ट कर मौके पर भेजा गया। इलाके की घेराबंदी कर आतंकियों की खोजबीन की जा रही है।
✲ शहीदों का बलिदान और आतंकवाद की स्थति
देर शाम तक गोलीबाजी का सिलसिला जारी रहा। सेना ने जंगल में छिपे अतंकियो को तलासने की पूरी कोशिश की ओर उन्हे घेरने की भी कोशिश की। जवाबी फायरिंग में आतंकियों को भारी नुकसान पहुंचाने के लिए सेना ने पूरी ताकत झोंक दी। इस हमले से दो दिन पहले ही कुलगाम जिले में सेना ने छह आतंकियों को मार गिराया था। इस अभियान में सेना के दो जवान भी बलिदान हो गए थे। इसके पहले 26 जून को डोडा में तीन आतंकियों को मार गिराया गया था।
जम्मू में हाल ही में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि हुई है। राजौरी जिले में सेना के कैंप पर हुए हमले में एक जवान घायल हो गया था। इससे पहले भी कई आतंकवादी घटनाएं घटित हुई हैं, जो राज्य में सुरक्षा की गंभीर स्थिति को दर्शाती हैं। कठुआ हमले में शहीद हुए जवानों के बलिदान को देश हमेशा याद रखेगा। कुलगाम मुठभेड़ में बलिदान हुए लांस नायक प्रदीप नैन को भी हरियाणा के जींद में हजारों लोगों ने अंतिम विदाई दी। उनका बलिदान देश के लिए अमर हो गया है।
लांस नायक प्रदीप नैन 6 जुलाई को कुलगाम में आतंकवादियों से लड़ते हुए देश के लिए बलिदान हो गए थे। उनकी गर्भवती पत्नी मनीषा और माता-पिता इस दुखद घटना से बेहद दुखी हैं, लेकिन गर्व से भरे हैं कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ। आतंकवाद ने राज्य के विकास और शांति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। आतंकवादी हमलों ने स्थानीय लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है और उन्हें हमेशा डर के साये में जीने पर मजबूर किया है। देशभर में शहीद जवानों के प्रति सम्मान और संवेदना का माहौल है। शहीदों के परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
कठुआ में हुए आतंकी हमले ने फिर से जम्मू-कश्मीर में उभरते खतरे की गंभीरता को उजागर किया है। इस हमले में चार बहादुर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी, जबकि छह अन्य घायल हो गए। सेना ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इलाके की घेराबंदी की और आतंकियों के सफाए के लिए व्यापक अभियान शुरू किया। ऊंचाई पर स्थित आतंकियों ने फायरिंग का फायदा उठाया, लेकिन सेना ने भी पूरी ताकत से जवाब दिया। पिछले कुछ दिनों में हुई मुठभेड़ों से यह साफ है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सेना लगातार मोर्चा संभाले हुए है और बलिदान दे रही है। जवानों के शौर्य और बलिदान की यह गाथा हमेशा याद रखी जाएगी, और देश उनके इस योगदान को कभी नहीं भूलेगा।