पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के पास खतरनाक रेल हादसे में नौ लोगो की मौत हो गई और 41 लोग घायल हो गए। ये हादसा दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी अनुमंडल क्षेत्र में सुबय करीब 8:45 बजे हुआ था। अगरतला के सियालदह जा रही डाउन कंचनजंगा एक्सप्रेस (13174) ट्रेन न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के करीब कटिहार रेल डिवीजन रंगापानी स्टेशन के निकट रूईधासा के पास खड़ी थी। इस दौरान कंटेनर ले जा रही एक मालगाड़ी ने इसे पीछे से टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि दोनों ट्रेनों के कई डिब्बों के परखच्चे उड़ गए। एक्सप्रेस ट्रेन का एक डिब्बा मालगाड़ी के इंजन पर हवा में लटक गया। अन्य दो डिब्बे बेपटरी हो गए।
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सव्यसाची डे ने बताया, मृतकों में मालगाड़ी के लोकोपायलट समेत दो कर्मी और सात यात्री है। घायलों में नौ की हालत गंभीर है। घायलों का इलाज बंगाल मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। हादसे के बाद रेलवे, राष्ट्रीय आपदान मोचल बाल, राज्य आपदा मोचन बल और स्थानीय प्रशासन की टीमों ने तुरंत राहत व बचाव कार्य शुरू किया।
✲ मृतकों को 10 लाख रुपए का मुआवजा
रेल मंत्री वैष्णव भी तत्काल घटनास्थल के लिए रवाना हो गए। घटनास्थल तक पहुंचने में मुश्किल को देखते हुए वैष्णव मोटरसाइकिल से वहां तक पहुंचे। उन्होंने सिलीगुड़ी में मेडिकल कॉलेज जाकर घायलों से मुलाकात भी की। वैष्णव ने बताया कि बचाव कार्य पूरा हो चुका है। रेलवे ने देर शाम बताया कि अप लाइन बिलवर कर ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया गया है।
अश्वनी वैष्णव ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की। गंभीर रूप से घायलों को 2.5-2.5 लाख रुपये व अन्य घायलों को 50-50 हजार रुपये की मदद दी जाएगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने हादसे पर दुख जताया है। पीएम मोदी ने मृतकों के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2-2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।
वैष्णव ने बताया, रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने हादसे की जांच शुरू कर दी है। ये पूर्वोत्तर से शेष देश को जोड़ने वाली लाइन है। साथ ही कहा, भविष्य में दुर्घटनाए रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे। चार बोगी छोड़ कर शेष ट्रेन कोलकाता भेजी गई। त्रिपुरा सरकार ने घटनास्थल पर टीम भेजी है।
रेलवे की एक परिचालन प्रक्रिया के कारण कुछ जिंदगियां बच गईं, जबकि कुछ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। असम के लामडिंग रेलवे स्टेशन पर एक निर्धारित परिचालन प्रक्रिया के तहत अगरतला-सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस के डिब्बों की दिशा बदल जाती है और डिब्बे विपरीत दिशा में बदल जाते है। इस क्रम में सोमवार को जो डिब्बे आगे थे, वे ट्रेन के पिछले हिस्से में आ गए। हादसे के ठीक पहले यह बदलाव पहले और आखिरी कोच में बैठे यात्रियों के लिए जीवन को बदलकर देने वाला सावित हुआ। इससे जहां पहले पीछे कोच में बैठे यात्री भाग्यशाली साबित हुए, वहीं पहले कोच में बैठे यात्रियों को हादसे की भयावहता झेलनी पड़ी।
मालगाड़ी ने ट्रेन को पीछे से टक्कर मारी थी। इसके कारण नियमानुसार सबसे पीछे लगा गार्ड का डिब्बा, दो पार्सल बैन और उनके आगे लगा जर्नल कोच सबसे अधिक प्रभावित हुए। इसके आगे के कोचो को नुकसान नहीं पहुंचा जनरल डिब्बा अनारक्षित होता है और इसमें सामान्यतः भीड़ भी अधिक होती है। इसलिए सिर्फ एक डिब्बा प्रभावित होने के बावजूद मृतकों और घायलों की संख्या अधिक रही है। वहीं, हादसे के बाद अंतिम चार डिब्बों को छोड़कर बाकी डाउन कंचनजंगा एक्सप्रेस दोपहर 12:40 बजे 1,293 यात्रियों को लेकर कोलकाता की ओर रवाना हो गई। ट्रेन को अलुआबारी स्टेशन पर रोका गया और यहां यात्री के लिए पानी और भोजन उपलब्द कराया गया।
✲ त्रिपुरा द्वारा परिजनों को 2 लाख का मुआवजा
त्रिपुरा सरकार ने त्रिपुरा के लोगो की सहायता के लिए कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना स्थल पर दो सदस्यीय टीम भेजी है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साह के सचिव पीके चक्रवर्ती ने बताया कि दुर्घटना के बाद , त्रिपुरा राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (ईओसी) सक्रिय हो गया है। इसने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है और रेलवे अधिकारियों के साथ समन्वय कर रहा है। त्रिपुरा के लोगो की सहायता के लिए त्रिपुरा भवन कोलकाता से एक विशेष टीम दुर्घटना स्थल पर भेजी गई। उन्होंने बताया की अगर किसी त्रिपुरा निवासी की इस घटना में मृत्यु हुई होगी तो राज्य सरकार पीड़ितों के परिजनों को 2 लाख का मुआवजा देगी।
कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना ने फिर से एक बार रेलवे सुरक्षा व्यवस्था को उजागर किया है। यह दुर्घटना एक गंभीर अनुस्मारक है कि हमे अपने रेल नेटवर्क की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव उपाय करना आवश्यक है। भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए तकनीकी और परिचालन सुधारों को तत्काल लागू करना चाहिए। रेलवे प्रशासन और सरकार को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके और यात्रियों का भरोसा कायम रहे।