भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां की संस्कृति और आस्थाएं अत्यधिक गहन और विविधता से भरी हुई हैं। यहाँ पर हर एक कोने में विभिन्न धार्मिक स्थल और महोत्सव देखे जा सकते हैं। ऐसा ही एक विशेष और पवित्र स्थल है, "माँ कामाख्या धाम", जो न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है, बल्कि यहाँ आयोजित होने वाले महोत्सवों के लिए भी प्रसिद्ध है। विशेषकर अंबुबाची महोत्सव, जो यहाँ की एक प्रमुख धार्मिक घटना है।जसराना के मां कामाख्या धाम में चल रहे पंच दिवसीय अंबुबाची महोत्सव का समापन हो गया। मंगलवार को पट खुलने के बाद बुधवार को भी भक्तों की भीड़ उमड़ी।
अंबुबाची महोत्सव मां कामख्या के पट बंद होने से शुरू होता है। इस वर्ष यह महोत्सव, 22 जून को प्रारंभ हुआ और 25 जून को मां के पट खोले जाने पर इस महोत्सव का समापन हुआ। इस महोत्सव के दौरान मंदिर के पट बंद रहते है। और किसी को भी दर्शन करने की अनुमति नहीं होती। ऐसा माना जाता है कि इस समय मां कामख्या का मासिक धर्म होता है और इसी लिए मंदिर के पट बंद रहते है।
22 जून की सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। मंगला आरती के साथ महोत्सव की शुरुआत हुई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस दौरान भक्तजन माँ कामाख्या की पूजा-अर्चना में लीन रहे और मंदिर के पट बंद होने के बाद भी बाहर से ही प्रार्थना करते रहे। 25 जून को मंदिर के पट खोले गए। इस दिन का बहुत महत्वपूर्ण महोत्सव होता है। क्योंकि भक्तजन मां के दर्शन के लिए बहुत उत्सुक रहते है। सुबह चार बजे मंगला आरती के बाद, लाल श्रंगार उतार कर मां को सफेद कपड़ों से श्रंगार किया गया। इसके बाद नौ महिलाओं द्वारा माँ के गर्भगृह के कपाट बंद कर दिए गए। यह प्रक्रिया बहुत ही श्रद्धा और भक्ति से भरी हुई होती है।
✲ मां के दर्शन के लिए लगी लंबी-लंबी लाइनें
मंगलवार को पट खुलने के बाद बुधवार को भी भक्तो की भीड़ कम नही हुई। इस दौरान मां के जयकारों से कस्बे का माहौल भक्तिमय हो गया। पुरुष और महिलाएं, सभी मां की पूजा एवं अर्चना में लीन रहे और अपने एवं अपने परिवार की सुख एवं समृद्धि की कामना की। मंदिर की तरफ से भक्तो को प्रसाद का वितरण भी किया गया। इसी महोत्सव के दौरान मौसम भी भक्तों का साथ देता नजर आया। सुबह के समय तेज उमस ने भक्तों को थोड़ी परेशानी में डाला, लेकिन बाद में मौसम सुहावना हो गया। मौसम के सुहावना होने से भक्तों को दर्शन करने में कोई परेशानी नहीं हुई और वे आराम से माँ के दर्शन कर सके।
बुधवार की शाम 8 बजे अंबुबाची महोत्सव का समापन हो गया। पांच दिनो तक चले इस महोत्सव के समापन पर मां कामाख्या धाम के पीठाधीश महेशस्वरुप ब्रहमचारी ने सभी भक्तों, जनप्रतिनिधियों, पुलिसकर्मियों, अधिकारियों, व्यापारियों, कार्यकर्ताओं और व्यवस्थापकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अंबुबाची महोत्सव के सफल आयोजन में सभी का सहयोग सराहनीय रहा।
✲ भक्तों की सेवा के लिए जुटे कार्यकर्ता
इस महोत्सव के दौरान कार्यकर्ताओं ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हमारे नौ जवान कार्यकर्ताओं ने भक्तो की लंबी-लंबी लाइनों में जल का वितरण किया, प्यासे भक्तो को पानी पिलाया और कार्यकर्ताओं ने प्रसाद वितरण में अपना योगदान दिया। इस समारोह के दौरान कार्यकर्ताओं को तीन भागों में बांट गया जिन्हें पहला ब्लॉक, दूसरा ब्लॉक, तीसरा ब्लॉक और सभी को आइडेंटी कार्ड भी दिए गए।पहले ब्लॉक के कार्यकर्ताओं को मंदिर के बाहर की व्यवस्था को संभालने के लिए कहा गया, दूसरे ब्लॉक के कार्यकर्ताओं को मंदिर के अंदर भक्तो को पानी पिलाने की व्यवस्था संभालने को कहा गया और तीसरे ब्लॉक के कार्यकर्ताओं को प्रसाद वितरण की व्यवस्था संभालने को कहा गया। जसराने के कार्यकर्ताओं ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
माँ कामाख्या धाम का अंबुबाची महोत्सव धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस महोत्सव के दौरान माँ कामाख्या के मासिक धर्म के प्रतीक स्वरूप पट बंद रहते हैं और इस समय मंदिर के अंदर किसी भी प्रकार की पूजा-अर्चना नहीं होती। माँ कामाख्या को सृष्टि की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है और यह महोत्सव सृष्टि की उत्पत्ति और पुनर्जन्म का प्रतीक माना जाता है। महोत्सव के समापन के बाद भी भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। मंदिर के पट खुलने के बाद भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। भक्तजन यहाँ आकर माँ के दर्शन करते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति की कामना करते है।
माँ कामाख्या धाम का अंबुबाची महोत्सव आस्था और भक्ति का एक प्रमुख प्रतीक है। यहाँ पर आने वाले भक्तजन माँ कामाख्या की कृपा से अपने जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की कामना करते हैं। यह महोत्सव न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। माँ कामाख्या धाम का यह महोत्सव हर साल हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है और उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता से भर देता है।