नई दिल्ली: नीट-यूजी में 1,563 छात्रों के ग्रेस मार्क्स रद्द, फिर से परीक्षा देनी होगी।

New Delhi | Roglance News

मेडिकल के क्षेत्र में दाखिला पाने के इच्छुक छात्रों के लिए नीट-यूजी (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक) एक महत्वपूर्ण परीक्षा होती है। हाल ही में इस परीक्षा में ग्रेस मार्क्स देने के निर्णय को लेकर एक विवाद खड़ा हुआ, जो अब सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद समाप्त हो गया है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई से पहले ही बताया कि जिन 1,563 छात्रों को समय खराब होने के कारण ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, उसे रद कर दिया गया है। आइए इस पूरे मामले पर विस्तार से जानते हैं।

नीट-यूजी परीक्षा में तकनीकी समस्याओं के कारण 1,563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। यह निर्णय छात्रों के पक्ष में समय की बर्बादी के कारण लिया गया था। हालांकि, इस पर विवाद उठ खड़ा हुआ और कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं, जिसमें परीक्षा में गड़बड़ी और ग्रेस मार्क्स देने के फैसले को चुनौती दी गई थी।

नीट-यूजी परीक्षा में छात्रों को ग्रेस मार्क्स देने को लेकर पूरा विवाद चार जून को परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद तब शुरू हुआ था, जब एक साथ 67 टॉपरों के साथ बड़ी संख्या में ऐसे छात्रों के नंबर सामने आए, जिन्हें परीक्षा में 711, 718 व 719 जैसे नंबर मिले थे। छात्रों का कहना था कि इस परीक्षा का प्रत्येक सवाल चार अंकों का होता है और एक सवाल गलत होने पर एक अंक कटता भी है, ऐसे में छात्रों के अंक इस तरह नहीं आ सकते। विवाद बढ़ने पर एनटीए ने सफाई दी और बताया कि छह परीक्षा केंद्रो पर गलत पेपर बंट जाने के चलते छात्रों को परीक्षा में कम समय मिल पाया था। ऐसे में भरपाई के लिए उन्हें ग्रेस मार्क्स दिए गए। एनटीए का कहना था कि ग्रेस मार्क्स देने का फैसला हाई कोर्ट के पूर्व के आदेश के तहत और पूरी तरह से वैज्ञानिक है।

✲  सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और निर्णय

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने एनटीए के फैसले पर सहमति जताते हुए कहा कि जिन छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, उनके नार्मल अंक (बगैर ग्रेस मार्क्स के) जल्द जारी किए जाएंगे। इसके साथ ही इन सभी छात्रों को 23 जून को दोबारा परीक्षा देने का मौका भी दिया जाएगा और इसके परिणाम 30 जून को घोषित किए जाएंगे।


एनटीए ने कोर्ट को बताया कि ग्रेस मार्क्स देने के निर्णय को वापस लेने का फैसला उच्चस्तरीय समिति की सिफारिश पर लिया गया है। इस समिति का गठन इस निर्णय की नए सिरे से समीक्षा के लिए किया गया था। हालांकि, एनटीए ने समिति के सदस्यों के नाम उजागर नहीं किए, जबकि शिक्षा मंत्री ने सदस्यों के नाम सार्वजनिक करने के निर्देश दिए थे।

प्रश्न पत्र लीक होने का कोई प्रमाण नहीं : धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि अब तक इसके प्रश्न पत्र लीक होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। जो लोग इस तरह की बातें कह रहे हैं, वह सिर्फ मनगढंत बातें कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनटीए एक विश्वसनीय एजेंसी है, जो जेईई-मेन, सीयूईटी और नीट सहित देश की सभी प्रमुख परीक्षाओं का आयोजन कराती है। इसके बाद भी एनटीए के कामकाज में और सुधार लाया जाएगा। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एनटीए के फैसले पर पलटवार किया और कहा कि नीट परीक्षा में सिर्फ ग्रेस मार्क्स की ही समस्या नहीं थी, बल्कि इसमें और भी धांधली हुई है। पेपर लीक हुए हैं।

✲  एनटीए का उच्चस्तरीय समिति का गठन

कोर्ट ने यह भी कहा कि पूरी परीक्षा में अभी तक किसी तरह की कोई खामी सामने नहीं आई है, इसलिए काउंसलिंग पर रोक लगाना छात्रों के हित में नहीं होगा। इसके साथ ही, एनटीए महानिदेशक सुबोध सिंह ने बताया कि ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1,563 छात्रों में से जो दोबारा परीक्षा देना चाहते हैं, वे परीक्षा दे सकेंगे। जो नहीं देंगे, उनकी बैगर ग्रेस मार्क्स के आधार पर रैंकिंग जारी की जाएगी।

नीट-यूजी परीक्षा में ग्रेस मार्क्स देने के विवाद का पटाक्षेप हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए के फैसले पर सहमति जताते हुए परीक्षा में गड़बड़ी के आरोपों से जुड़ी दूसरी याचिकाओं को आठ जुलाई को सुनने का फैसला किया है। इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि छात्रों के हित में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इस मामले का समाधान छात्रों के लिए राहत की खबर है और इससे नीट-यूजी परीक्षा की विश्वसनीयता भी बनी रहेगी।