फिरोजाबाद: अक्षय यादव ने जीता अपना गढ़, लगातार जनसंपर्क की अहम भूमिका।

Firozabad | Roglance News

फिरोजाबाद लोकसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी (सपा) ने फिर से एक बार अपनी बादशाहत कायम रखने में सफल रही। समाजवादी पार्टी (सपा) की सफलता के पीछे इनकी कड़ी मेहनत और जनसंपर्क , परिवार की एकजुटता का बाद योगदान है। जो बूथ मैनेजमेंट का काम स्वय पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने संभाला था। समाजवादी पार्टी (सपा) फिरोजाबाद के लोक सभा क्षेत्र से पांच बार जीत चुकी है। 

फिरोजाबाद लोकसभा सीट का 2008 में परिसीमन होने के बाद यादव बहुल हो गई थी। उसी समय से इस पर सैफई परिवार की नजर थी। 2009 का जो चुनाव सपा के राष्टीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लड़े थे। उन्हें उस  चुनाव में जीत मिली थी। लेकिन जब इस्तीफा देने के बाद जब 2009 में हुए उपचुनाव में डिंपल यादव को खड़ा किया तो कांग्रेस के राजबब्बर से हार का समाना करना पड़ा था। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के महा सचिव प्रो. रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव को चुनाव के मैदान में उतारा था। अक्षय यादव के लिए चुनाव मैदान में 2014 में एक नया अनुभव था। लेकिन इस चुनाव में अक्षय यादव ने भाजपा प्रत्याशी प्रो. एसपी सिंह बघेल को हराकर एक लाख 14059 मतों से पराजित करने का काम किया था। सपा ने 2019 के चुनाव में अक्षय यादव को फिर से टिकट दिया।

घरेलू विवाद के चलते चाचा शिवपाल सिंह यादव चुनाव मैदान में उतरे तो अक्षय यादव को हर का सामना करना पड़ा था। यह सीट 2019 में भाजपा के साधारण से कार्यकर्ता डॉ चंद्रसेन जादौन 28786 मतों के अंतर से जीतने का काम किया था। लेकिन 2024 के चुनाव में परिवार एकजुट हुआ तो इसका परिणाम रहा कि सपा ने अपनी हारी सीट पर एक बार फिर से बादशाहत कायम की है।

✲  जिम्मेदार नेता बने अपनी हार का कारण

फिरोजाबाद। जिले में भाजपा के जिम्मेदार नेता बने इस चुनावी हर का बड़ा कारण। पार्टी प्रत्याशी की घोषणा के बाद जिले के संगठन के नेता मनमानी करने लगे। महज कुछ कार्यकर्ताओं का साथ ही प्रतियाशियो को मिला। थाने व चौकियों में फोन कर हेकड़ी झाड़ने वाले नेता प्रचार करने से बचते नजर आए। कुछ ने बीमारी का बहाना बनाया, तो किसी ने महज कुछ देर के लिए प्रचार करने के बाद जिम्मेदारी की खाना पूरी की। जबकि कुछ नेता तो टिकट वितरण के बाद से ही प्रत्याशी को हराने में अंदरखाने में जुट गए थे।


लोकसभा का चुनाव लड़ाने वाले प्रत्याशियों को कुल मतों का छटवां भाग के बराबर तो मत प्राप्त कर लेगा उसकी जमानत बच जाएगी। इस प्रकार से देखा जाए तो जिस प्रत्याशी को 1 लाख 80 हजार 670 मत मिलेंगे उस प्रतियाशी के जमानत बच सकेगी। लेकिन मतगणना के परिणाम पर नजर डाले तो सपा प्रत्याशी अक्षय यादव एवं भाजपा प्रत्याशी ठाकुर विश्वदीप सिंह को यदि छोड़ दें तो कोई भी प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। इसमें बसपा के चौधरी बशीर, भारतीय किसान परिवर्तन पार्टी के उपेंद्र सिंह राजपूत, राष्ट्रीय उदय पार्टी के प्रेमदत्त बघेल एडवोकेट, परिवर्तन समाज पार्टी के रश्मिकांत राठौर व निर्दलीय राजवीर सिंह की जमानत जब्त हो गई है।

फिरोजाबाद लोकसभा सीटों की बाते करे तो चुनाव मैदान में उतरे सात प्रत्याशीयो में जिन बोटरो कोई भी पसंद नही है नोटा को  तीन प्रत्याशियों से अधिक मत मिले। नोटा को 5279 मत मिले है। जबकि प्रेमदत्त बघेल को 2878 मत मिले है जोकि राष्ट्रीय उदय पार्टी के प्रत्याशी है। परिवर्तन समाज पार्टी के रश्मिकांत को 2930 व निर्दलीय राजवीर सिंह को 1380 ही मत मिल सके है। टूंडला विधानसभा में नोटा का प्रयोग पांच विधानसभा क्षेत्रों में सबसे अधिक किया गया। यहां 1148 लोगो ने नोटा का बटन दबाया। जसराना में 1029, फिरोजाबाद विधानसभा में 1022, शिकोहाबाद में 1039 व सिरसागंज में 1035ने नोटा का बटन दबाया है। जबकि पोस्टल बैलेट में छह लोगों ने नोटा प्रयोग किया है। 

✲  हारी हुई बाजी समाजवादी पार्टी ने जीत ली

फिरोजाबाद लोकसभा क्षेत्र में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव का मजबूत चुनाव प्रबंधन और रणनीति समाजवादी पार्टी की जीत का सबसे बड़ा कारण बन गई। प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने मजबूत बूथ प्रबंध किया। सभी विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने एक-एक बूथ पर कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी तय कर दी थी। यह उनकी जीत का सबसे बड़ा कारण रहा। कहावत है की दूध का जला छाछ को भी फूक फूक कर पिता है। यह कहावत समाजवादी पार्टी के लिए सटीक है। 2019 का चुनाव समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अक्षय यादव हारे तो उससे बड़ा सबक समाजवादी पार्टी ने लिया। 2019 की हार को 2024 में जीत में बदलने के लिए समाजवादी पार्टी में 2019 से ही चुनावी जमीन तैयार करना शुरू कर दी थी।चुनाव में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने खुद चुनाव की कमान संभाली। सबसे बड़ी बात उन्होंने नाराज नेताओं का एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया। राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने मुस्लिम मतदाताओं का बिखराब रोकने के लिए मुस्लिम नेताओं को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया।

पूर्व विधायक अजीम भाई और खालिद नसीर दोनो लोग अलग अलग मंचो पर खड़े होकर एक दूसरे को गरियाते थे। इस बार दोनो इकठ्ठे होकर एक मंच पर दिखे । विधानसभा चुनाव में अजीम भाई समाजवादी पार्टी छोड़कर बसपा में शामिल हो गए थे। समाजवादी पार्टी को मालूम था कि 2024 का चुनाव जितना है तो अजीम भाई को पार्टी में लाना होगा। अजीम को पार्टी में शामिल कराया। जिले के सभी मुस्लिम नेता इस बार सपा के साथ एक मंच पर दिखे। इसका लाभ सपा को मिला। प्रोफेसर राम गोपाल यादव के लिए चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल था। उन्हें जहां भी लगा कि उनके जाने से वोट मिलेगा वो इस बार उस स्थान पर गए। क्षेत्र के प्रमुख नेताओं के आवास परबैठकें भी की गई। पूरी रणनीति के साथ सपा ने चुनाव लड़ा था। एक-एक वोट के लिए पार्टी ने रणनीति तय करके चुनाव लड़ा। अथक मेहनत से अपने पुत्र अक्षय यादव को उन्होंने चुनाव जिता लिया।


फिरोजाबाद में भाजपा की हार का पहला कारण देर से प्रत्याशी घोषित करना रहा। दूसरा प्रत्याशी कार्यकताओं के मन का न होना था। भाजपा ने जब विश्वदीप के नाम का ऐलान किया तो जिले में पूरी पार्टी हैरान रह गई थी कि आखिर विश्वदीप सिंह को प्रत्याशी कैसे बना दिया। पार्टी में विरोध होने लगा। तमाम पार्टी के नेता चुनाव में जुटने की वजाए घर बैठ गए। सोशल मीडिया पर विरोध अधिक हुआ तो डेमेज कंट्रोल का प्लेटफॉर्म तैयार किया गया। आरएसएस, भाजपा तथा भाजपा से जुड़े संगठनों की बैठक में डेमेज कंट्रोल की कोशिश की गई। पार्टी की प्रति निष्ठा दिखाते हुए नाराज नेता बैठक में पहुंचे लेकिन चुनाव में नहीं जुटे। इसका नतीजा यह रहा कि भारतीय जनता पार्टी को फिरोजाबाद में बड़ी हार का सामना करना पड़ा। मतदान से पहले भाजपा के कुछ मजबूत कार्यकर्ता भी सपा में चले गए। भाजपा में जिले के कई कद्दावर नेता चुनाव से दूरी बनाए रहे। कई प्रमुख चेहरे चुनाव में नजर नहीं आए। घर बैठे रहे।

✲  प्रत्याशियों को मनाने में असफल रही भाजपा

सपा के अक्षय यादव की जीत में जसराना के मतदाताओं का विशेष योगदान रहा। सपा ने जहां रुठों को मनाने में कामयाबी हासिल की तो वहीं भारतीय जनता पार्टी रुठों को मनाने में नाकामयाब दिखाई दी। पार्टी में गुटबाजी खुल मंचों से भी दिखाई दी। कार्यकर्ता अंत तक अनदेखी का आरोप लगाते रहे। लोक राष्ट्रीय डिग्री कालेज में हुए कार्यक्रम के दौरान तो जमकर हंगामा हुआ था। वहीं चुनाव के दो दिन बाद पार्टी कार्यालय का एक वीडियो वायरल हुआ था।

जिसमें एक जनप्रतिनिधि और एक पदाधिकारी के बीच जमकर गाली गलौज हो रही थी। वहीं समाजवादी पार्टी ने जसराना में रणनीति बनाकर कार्य किया। घुरविरोधी नेताओं को भी एक मंच पर लेकर आए। 2017 में पार्टी से प्रत्याशी शिवप्रताप सिंह यादव के खिलाफ रामवीर सिंह यादव ने चुनाव लड़ा था जो बाद में भाजपाई हो गए। वहीं 2022 के चुनाव में शिवप्रताप सिंह यादव ने सपा प्रत्याशी सचिन यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा था। लेकिन सपा के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने दोनों नेताओं से बात की। और उन्हें पार्टी में वापस कर लिया। पूर्व विधायक रामवीर सिंह यादव के पार्टी में आने का फायदा भी मिला।