जसराना के मां कामाख्या धाम में भी हर साल अंबुबाची महाेत्सव मनाया जाता है।

Maa Kamakhya Dham Jasrana | Roglance News

हर साल 22 जून को अंबुबाची महोत्सव का शुभारंभ होता है। इस महोत्सव की मान्यता के अनुसार, इन दिनों माता कामाख्या तीन दिन के लिए रजस्वला होती हैं। 22 जून को महिलाएं माता की सेवा करती हैं और माता को सफेद साड़ी पहनाकर मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। इस समय मंदिर में किसी को प्रवेश नहीं मिलता और विशेष पूजा-अर्चना के बाद पट खोलने की प्रक्रिया पूरी होती है।

✲  साल में एक बार आयोजन होता है

असम के प्रसिद्ध कामाख्या धाम का प्रतिबिंब उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जनपद के जसराना कस्बे में देखने को मिलता है। यहां के मां कामाख्या धाम में इस बार अंबुबाची महोत्सव को विशेष धूमधाम से मनाने की तैयारियां चल रही हैं। कोरोना महामारी के बाद यह पहला मौका है जब यह महोत्सव इतनी भव्यता से आयोजित किया जा रहा है। 22 जून से 25 जून तक चलने वाले इस महोत्सव में भाग लेने के लिए देशभर से श्रद्धालु जुटते हैं और इस आयोजन को लेकर अत्यधिक उत्साह का माहौल रहता है।

जसराना का मां कामाख्या मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है क्योंकि यहां असम के कामाख्या धाम की तरह ही हर साल अंबुबाची महोत्सव आयोजित किया जाता है। इस महोत्सव में सम्मिलित होने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर प्रबंधन द्वारा हर साल भव्य तैयारी की जाती है और 22 जून की सुबह विशेष पूजा के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।


मां कामाख्या के रजस्वला होने की मान्यता के चलते इस दौरान श्रद्धालु मंदिर के बाहर ही भजन-कीर्तन और पूजा-पाठ करते हैं। 25 जून की सुबह स्नान और श्रंगार कराने के बाद पट खोले जाते हैं और श्रद्धालुओं को दर्शन का अवसर मिलता है। इस साल, श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंदिर प्रबंधन महोत्सव को 26 जून तक बढ़ाने पर विचार कर रहा है।

✲  मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

मां कामाख्या मंदिर की नींव 1976 में रखी गई थी। यह स्थल तब वीरान था। एटा जिले के जैथरा के स्वामी माधवानंद मां कामाख्या देवी के अनन्य भक्त थे। 1976 में वे जसराना कस्बे में आए और मां कामाख्या मंदिर की स्थापना की। 31 अक्टूबर 1984 को मंदिर का विधिवत उद्घाटन हुआ। इस एक एकड़ भूमि में बने इस मंदिर में अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं।

मां कामाख्या मंदिर से जुड़ी कई चमत्कारिक कहानियाँ भी प्रचलित हैं। इनमें से एक कहानी जयपुर के एक व्यापारी के बच्चे के अपहरण की है। जब परिवारजन बच्चे की खोज करते हुए मंदिर पहुंचे और मन्नत मांगी, तो स्वामी माधवानंद ने कहा कि बच्चा अगले दिन मिल जाएगा। वास्तव में, बच्चा अगले दिन सही-सलामत मिल गया। बच्चे ने बताया कि रात में एक छोटी लड़की आई थी, जिसने उसे बदमाशों के चंगुल से निकाला। इस चमत्कार के बाद मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई और भक्तजनों ने प्रतिमा स्थापित करने में सहयोग दिया।

✲  यात्रा मार्ग और मंदिर तक पहुँचने का तरीका

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मां कामाख्या धाम, फिरोजाबाद जिले के जसराना कस्बे में एटा-शिकोहाबाद मार्ग पर स्थित है। शिकोहाबाद से जसराना की दूरी 16 किमी है और एटा से मंदिर की दूरी 36 किमी है। मैनपुरी से एटा रोड होते हुए जसराना पहुंच सकते हैं, जिसकी दूरी 38 किमी है। आगरा एवं अन्य स्थानों से शिकोहाबाद होकर भी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। — गूगल मैप पर देखें

फिरोजाबाद से कामाख्या धाम, 6MQ2+9X3, मां कामाख्या धाम, जसराना, उत्तर प्रदेश 283136 आगरा रोड / फिरोजाबाद-शिकोहाबाद रोड और एटा-शिकोहाबाद मार्ग / शिकोहाबाद रोड होते हुए।

मां कामाख्या धाम के महंत महेश स्वरूप ब्रह्मचारी के अनुसार, इस साल अंबुबाची महोत्सव को विशेष धूमधाम से मनाने की योजना बनाई गई है। 22 जून की सुबह चार बजे मंदिर के पट बंद होंगे और 25 जून की सुबह छह बजे से श्रद्धालुओं के लिए दर्शन का अवसर मिलेगा। श्रद्धालुओं के लिए यह अवसर अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और वे इस पावन परंपरा में हिस्सा लेने के लिए बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस महोत्सव के दौरान मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन, धार्मिक प्रवचन और अन्य धार्मिक गतिविधियों का आयोजन होता है, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और मानसिक संतोष प्रदान करता है।

अंबुबाची महोत्सव एक ऐसा अवसर है जो श्रद्धालुओं को मां कामाख्या के प्रति अपनी भक्ति और आस्था को प्रकट करने का अवसर प्रदान करता है। यह महोत्सव केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और सामाजिक उत्सव भी है जो लोगों को एक साथ लाता है। श्रद्धालुओं की भीड़, भजन-कीर्तन, धार्मिक प्रवचन और अन्य गतिविधियों के माध्यम से यह महोत्सव एक पावन वातावरण का निर्माण करता है। मां कामाख्या की कृपा से सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और यह महोत्सव उनके प्रति श्रद्धा और विश्वास को और भी मजबूत करता है।