जसराना में भीषण गर्मी के बीज बिजली न मिलने से परेशान ग्रामीणों का धैर्य रविवार को जवाब दे गया। आधा दर्जन से अधिक ग्रामीण एकत्रित होकर पदम बिजली घर पर पहुंच गए। उन्होंने वहां पर अधिकारियों की अनुपस्थिति में जमकर हंगामा किया और बिजली घर पर ताला लगा दिया।
जसराना क्षेत्र के नगला धीर, नगला धुडिया, नगला किशन सिंह, नगला गोकुल, नगला अचल, सुरैला, निजामपुर, मोगरा आदि गांवों के निवासी लंबे समय से बिजली की कमी से जूझ रहे हैं। इन गांव में बिजली की आपूर्ति दिन में मात्र दो से तीन घंटे हो पा रही है। इस कारण घरों में रहना मुश्किल हो रहा है और खेतो में फसले सूख रही है। ग्रामीणों का कहना है कि बिजली की कमी से उनका जीवन दुभर हो गया है। बिजली के बिना पंखे कूलर नहीं चल पा रहे हैं।, जिसके कारण भीषण गर्मी में रहना उनके लिए मुश्किल हो गया है। वही, सिंचाई न होने के कारण खेतों में खड़ी फैसले सूख रही हैं। जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
रविवार को गांवों के सैकड़ों ग्रामीण और किसान पाढम बिजली घर पर एकत्रित हुए। जेई (जूनियर इंजीनियर) और एसडीओ (सब डिविजनल ऑफिसर) के वहां न मिलने पर ग्रामीणों ने आक्रोशित होकर बिजली घर पर ताला जड़ दिया। इस दौरान नगला धीर निवासी गजेंद्र सिंह की तबीयत अचानक खराब हो गई और वह बेहोश हो गए। जल्द से जल्द उन्हें नजदीकी चिकित्सक के पास ले जाया गया, जहा हालत गंभीर होने पर चिकत्सक ने उन्हें रेफर कर दिया।
✲ अधिकारियों पर आरोप, बिजली घर पर ताला
ग्रामीणों का आरोप है कि बिजली विभाग के अधिकारी उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। शिव सिंह, शिवराम, शिवप्रताप, शिवकुमार, लाल सिंह, मटरु, अंकित, आशीष चौहान, अनिल कुमार, ओमप्रकाश, पवन, राजेश, अखिलेश, खचेर सिंह, सीटू, छोटे, गजेंद्र सिंह आदि ने विद्युत अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं और उनका जीवन यापन कठिन हो गया है।
बिजली घर पर ताला जड़ने की जानकारी मिलने पर जेई मुकुल दुबे और एसडीओ उपेंद्र राज मौके पर पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत की और उन्हें समझाने का प्रयास किया। अधिकारियों ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान किया जाएगा। उन्होंने ग्रामीणों से शांति बनाए रखने की अपील की और बिजली घर का ताला खुलवाया।
ग्रामीणों ने बताया कि गजेंद्र सिंह ने 15 बीघा जमीन पट्टे पर ली है, जिसमें मक्का की फसल खड़ी हुई है। बिजली न मिलने के कारण सिंचाई नहीं हो पा रही है, जैसे उनकी फसल सूख रही है। गजेंद्र सिंह के अलावा कई किसान निधि समस्या से जूझ रहे हैं। बिजली की कमी से ना उनकी फसलें सूख रही हैं बल्कि उनकी मेहनत और पैसा दोनों बर्बाद हो रहा हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि उनकी समस्या का जल्द से जल्द समाधान ना हुआ, तो वे और बड़ा आंदोलन करेंगे। उनका कहना है कि वे अपने हक के लिए लड़ते रहेंगे। बिजली विभाग के अधिकारियों को उनकी समस्या का समाधान करना होगा, नहीं तो वे अपनी आवाज उठाते रहेंगे।
✲ ग्रामीणों की सामूहिक शक्ति, विकास की धारा
ग्रामीणों का एकजुट होना इस बात का प्रतीक है कि जब जनता अपनी समस्याओं से त्रस्त हो जाती है, तो वे सामूहिक रूप से विरोध करने के लिए तैयार हो जाते हैं। नगला धीर, नगला धुडिया, नगला किशन सिंह, नगला गोकुल, नगला अचल, सुरैला, निजामपुर, मोगरा आदि गांवों के ग्रामीणों ने यह साबित कर दिया कि जब समस्याएं अधिक हो जाती हैं, तो वे एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद कर सकते हैं।
बिजली की कमी न केवल घरेलू जीवन को प्रभाहित कर रही है। बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में भी बाधा उत्पन्न कर रही है। बिजली की अनियमित आपूर्ति से न किवल फसलें सूख रही हैं, बल्कि ग्रामीण उद्योग और अन्य आर्थिक गतिविधियां भी प्रभावित हो रही हैं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिससे वहां के निवासियों का जीवन स्तर गिर रहा है।
यह घटना स्पष्ट रूप से साफ साफ दर्शाती है, कि बिजली विभाग के अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना चाहिए। ग्रामीणों का आरोप यह है कि अधिकारियों ने उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया है और उनकी परेशानियों का समाधान नहीं किया है। अगर अधिकारियों ने समय पर कार्रवाई की होती, तो शायद यह घटना टल सकती थी।
ग्रामीणों की मांगे पूरी तरह से जायज है। वे चाहते है, कि बिजली की नियमित आपूर्ति हो ताकि उनका जीवन और आजीविका सामान्य रह सके। इसके अलावा वे चाहते है कि अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए ताकि भविष्य में उनकी समस्याओं को नजरअंदाज न किया जा सके।
सरकार को इस समस्या का समाधान करने के लिए तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति में सुधार के लिए विशेष योजनाएं बनानी चाहिए। इसके साथ ही, बिजली विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही तय करनी चाहिए ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाएं।
✲ सुधार की दिशा में कदम, समस्या का समाधान
इस घटना से सबक लेकर, प्रशासन को सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। बिजली की नियमित आपूर्ति के लिए न केवल तकनीकी सुधार की आवश्यकता है, बल्कि प्रशासनिक सुधार भी आवश्यक हैं। अधिकारियों की जवाबदेही तय करना और उनकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाना भी जरूरी है।
इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट है कि ग्रामीणों और किसानों की समस्याओं का समाधान तुरंत करना आवश्यक है। बिजली विभाग को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और बिजली की आपूर्ति में सुधार करना चाहिए। ग्रामीणों का धैर्य टूट चुका है और वे अपने हक के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
जसराना के ग्रामीण और किसान बिजली की कमी से जूझ रहे हैं और उनकी समस्याओं का समाधान आवश्यक है। बिजलीघर पर ताला जड़ने की घटना इस बात का प्रमाण है कि ग्रामीण अब अपने हक के लिए आवाज उठा रहे हैं। अधिकारियों को उनकी समस्याओं का समाधान तुरंत करना चाहिए ताकि ग्रामीण और किसान राहत की सांस ले सकें। उनकी समस्याओं का समाधान करना ही प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और ग्रामीणों का जीवन सुखमय हो सके।