फिरोजाबाद: विधानसभा क्षेत्रों में 2014 का रिकॉर्ड नहीं तोड़ सके मतदाता।

विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं ने 2014 के रिकॉर्ड को तोड़ने में सफल नहीं हो सके। यह साहसिक चुनावी माहौल में एक महत्वपूर्ण परिणाम है।
Firozabad | Roglance News

फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण शहर, न केवल राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र है बल्कि यहां की जनता का मतदान भी राजनीतिक मामलों के लिए महत्वपूर्ण है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में मतदान की दरों में कमी के संदर्भ में चिंता की बातें हो रही हैं। इसे समझने के लिए हमें इस स्थिति के पिछले चुनावों का भी विश्लेषण करना होगा।

फिरोजाबाद के पांच विधानसभा क्षेत्रों में मतदान की दर में कमी एक गंभीर समस्या है जो हमें गहराई से सोचने पर मजबूर कर देती है। 2014 के लोकसभा चुनावों में यहां की जनता ने अपने मतदान के साथ अपना संबंध जाहिर किया था, लेकिन इस बार कुछ अलग ही दिखा।

कुल 232799 वोटर यानी 61.36 फीसदी मतदान हुआ। जो दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव में सबसे कम हैं।2014 में टूंडला विधानसभा क्षेत्र की जनता ने 69 फीसदी मतदान कर रिकार्ड कायम किया था। इसी तरह जसराना विधानसभा क्षेत्र में 2014 में 73.6 फीसदी हुआ था। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव मेंसिरसागंज विधानसभा क्षेत्र सपा का गढ़ माना जाता है।

2014 में 71.9 मतदान हुआ था, उस समय अक्षय यादव ने जीत हासिल की थी। 2019 में मतदान का फीसदी 58.27 फीसद तक पहुंचा था तो सपा को करारी हार मिली और भाजपा सांसद चंदसेन जादौन विजयी रहे। विधानसभा चुनाव में 2022 में 64.62 मतदान हुआ तो सपा के सर्वेश यादव विधायक चुने गए। यानी सिरसागंज विधानसभा क्षेत्र मैं 60 फीसदी मतदान होना सपा के लिए फायदेमंद साबित रहा है।


लेकिन, इस बार सिरसागंज विधानसभा क्षेत्र में अभी तक का सबसे न्यूनतम 57.92 फीसदी मतदान हुआ है। यही हाल विधानसभा क्षेत्र शिकोहाबाद का है। यहां विधानसभा और लोकसभा चुनाव में 65 फीसदी से अधिक मतदान हुआ था, तब-तब सपा के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। लेकिन, इस बार 60.23 फीसदी मतदान हुआ है। यह आंकड़े कहीं न कहीं पार्टियों को चिंता में डाले हुए हैं।

बीते चुनावों में टूंडला विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को लीड मिलते आई है। मतदान का ग्राफ गिरना भाजपाइयों की चिंता बढ़ा रहा है। यहां 61.36 फीसदी मतदान हुआ है। जबकि 2014 में 69 फीसदी, 2019 में 64 फीसदी मतदान हुआ था। साथ ही 2022 विधानसभा चुनाव में 66.53 फीसदी मतदान हुआ। यहां इस बार 61.136 फीसदी मतदान हुआ है।2019 में 55.69 फीसदी और 2022 विधानसभा चुनाव में 58.96 फीसदी मतदान कर जनता ने उत्साह दिखाया था।

67.37 फीसदी जनता मतदान करने के लिए घरों से बाहर निकली थी। जसराना विधानसभा क्षेत्र के इस रिकार्ड को इस बार लोकसभा चुनाव में मतदाता नहीं तोड़ सके। इस बार जसराना में 61.11 फीसदी मतदान हुआ है। टूंडला, जसराना, और सिरसागंज विधानसभा क्षेत्रों में मतदान की दरों में कमी देखी गई है। इन क्षेत्रों में पिछले चुनावों में मतदान की दरों में वृद्धि हुई थी, लेकिन इस बार यहां की जनता का उत्साह कम दिखा।

✲  मतदान की गतिविधियों का विश्लेषण

जसराना विधानसभा क्षेत्र ने चुनावी माहौल में उत्साह और रोमांच का महासागर उत्पन्न किया। मंगलवार को चुनावी मतदान के दिन, यहां के मतदाताओं ने अपने देशवासियों के हक का प्रतिनिधित्व किया। चुनाव की इस गतिविधि में सामाजिक और राजनीतिक दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए, यहां के मतदाताओं ने विभिन्न कार्यकर्ताओं और नेताओं को संदेश दिया कि लोकतंत्र के मूल तत्वों की रक्षा करने का संकल्प अभी भी मजबूत है।


जसराना विधायक इंजी. सचिन यादव के गांव पैढ़त में चार मतदान बूथ है। जहां श्रीमती मार्गश्री इंटर कॉलेज पैढ़त के कमरा नंबर तीन में 49.66 प्रतिशत, कमरा नंबर तीन में 44.53 प्रतिशत, नंबर तीन में 52.36 प्रतिशत एवं शिव आदर्श इंटर कॉलेज में बने मतदान केंद्र पर 49.53 प्रतिशत मतदान हुआ।

वहीं भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष मानवेंद्र प्रताप सिंह के गांव मोरचा में बने मतदान केंद्र पर 52.42 प्रतिशत, पूर्व विधायक के गांव नगला पर्दमन में 51.80 प्रतिशत, नगर पंचायत अध्यक्षा के मतदान केंद्र तेजपुर में 65.93 प्रतिशत ने मतदान किया।

फरिहा नगर पंचायत की अध्यक्षा रेखा देवी कुशवाहा के बूथ संख्या 135 पर 58.87 प्रतिशत एवं जसराना नगर पंचायत अध्यक्ष राजीव गुप्ता के बूथ संख्या 343 पर 51.57 प्रतिशत ने मतदान किया।

जसराना क्षेत्र में मतदान की भारी उपस्थिति का साक्षात्कार करने के लिए, हमें विभिन्न बूथों और क्षेत्रों के विवरण को गौर से देखने की आवश्यकता है। यहां के बूथों में वोटिंग की दरों और प्रतिशतों का विश्लेषण करने से, हमें समझ मिलती है कि किन क्षेत्रों में उत्साह और उत्सव की भावना थी और कहां लोगों के इंतजार में कुछ कमियाँ थीं।

जसराना क्षेत्र में वोटिंग की दरों और प्रतिशतों के अलावा, ट्रांसजेंडर समुदाय के भी हिस्सा बनने का भी महत्वपूर्ण अहमियत था। यह दिखाता है कि समाज की सभी वर्गों और समुदायों को चुनावी प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है और उनकी भागीदारी को महत्व दिया जा रहा है।

यहां 92.61 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वहीं प्राथमिक पाठशाला नगला सकटू में भी मतदाताओं ने अपना विशेष प्यार प्रत्याशियों पर लुटाते हुए 88.64 प्रतिशत मतदान किया। प्राथमिक पाठशाला हमीरपुर में 85.31 प्रतिशत, प्राथमिक पाठशाला कमालपुर रखावली में 82.27 प्रतिशत, प्राथमिक पाठशाला करेंजुआ में 82.12 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले गए।


वहीं कंपोजिट विद्यालय नगला गोशा में 43.07 प्रतिशत, प्राथमिक विद्यालय नगला छत्तू में 44.76 प्रतिशत, प्राथमिक पाठशाला उड़ेसर के कमरा नंबर दो में 44.02 एवं कमरा नंबर एक में मात्र 47.33 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने वोट डाले। वहीं नगला मानसिंह में मतदान का बहिष्कार किया गया था।

जसराना क्षेत्र के विभिन्न बूथों में मतदान की दरों के विश्लेषण से, हमें उन क्षेत्रों का पता चलता है जहां लोगों की उत्सुकता और सक्रियता थी, साथ ही कहीं किसी कारणवश वोटिंग में नीचे गिरावट थी। यह हमें सामाजिक और राजनीतिक दिशानिर्देशों को समझने में मदद करता है और हमें पता चलता है कि किस क्षेत्र में और कैसे संगठन

यह मतदान की दर में कमी राजनीतिक दलों के लिए भी चिंता का विषय है। इससे स्पष्ट होता है कि लोगों का उत्साह और दिशा किसी न किसी कारण से कम हो रहा है। फिरोजाबाद में मतदान की दर में कमी का मुख्य कारण यह सकता है कि लोगों की जागरूकता मतदान के महत्व को समझने में कमी है।

फिरोजाबाद में मतदान की दर में कमी का मुद्दा गंभीर है और इसे समझने और समाधान करने के लिए सभी स्तरों पर प्रयास किए जाने चाहिए। प्रशासनिक अधिकारियों और राजनीतिक दलों को इस स्थिति को समझने और समाधान करने के लिए कठोर प्रयास करने की आवश्यकता है। मतदान की दरों में वृद्धि के लिए लोगों को शिक्षित करने और जागरूक करने की जरूरत है।